एजेंसियां/न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): पाकिस्तान के बलूचिस्तान (Balochistan) में हिंसा का लहर देखी जा रही है क्योंकि बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA-Balochistan Liberation Army) ने प्रांत में आतंकवादी हमलों को जारी रखा है। हाल ही में पाकिस्तान में सुरक्षा चौकियों पर हमले हुए थे, जिसमें सात पाकिस्तानी सैनिक और 13 आतंकवादी मारे गये थे। जनवरी 2022 में इकतालीस सैनिकों और नागरिकों की मौत हो गयी और ये आंकड़ा 50 से ज़्यादा को पार कर सकता है।
इस मामले पर पाकिस्तानी पत्रकार उमर फारूक (Pakistani journalist Umar Farooq) ने कहा कि पाकिस्तान उस हालात में वापस आ गया है, जहां उसे दो विद्रोहों का सामना करना पड़ा है। पाकिस्तान को उत्तर पश्चिम से तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान (TTP- Tehreek-e Taliban Pakistan) की अगुवाई में विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। इस इलाके को पाकिस्तानी तालिबान के तौर पर जाना जाता है और दूसरा दक्षिण में उसे बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) की अगुवाई हथियारबंद कार्रवाई से दो-चार होना पड़ रहा है।
तालिबान के मुद्दे पर उमर फारूक ने कहा कि- विद्रोह के दोनों मामलों में उत्तर और दक्षिण से तालिबान ने हिंसात्मक मोर्चा खोला हुआ है। तालिबान अब देश बन गया है, इसका मतलब ये नहीं है कि वो एक आतंकवादी संगठन (Terrorist Organization) के तौर पर अपनी पूर्व स्थिति से पूरी तरह से बाहर हो गये हैं। खासतौर से बीएलए के हमलों के बाद पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने बीते गुरुवार (3 जनवरी 2022) को बलूचिस्तान के पंजगुर और नौशकी जिलों (Panjgur and Naushki districts) में हाल के आतंकवादी हमलों के मद्देनजर खतरे की चेतावनी जारी की।
उमर फारूक ने अफगान तालिबान के”अल-कायदा के साथ रिश्तों की ओर भी ध्यान खींचा है। एक तरफ पाकिस्तानी तालिबान और दूसरी तरफ पाकिस्तानी तालिबान के साथ इस्लामिक स्टेट (IS) के ISIS (खोरासन) से उनकी खींचतान किसी से छिपी नहीं है। इसके अलावा पाकिस्तानी तालिबान फिर से संगठित हो गये हैं और अपनी ताकत में नये सिरे से जान फूंकी हैं। कुल मिलाकर ये अफगान तालिबान के प्रति पाकिस्तान की बढ़ती हताशा को दिखाता है।