न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (Bangal Election) को लेकर ममता बनर्जी को कई मोर्चों पर बुरी तरह जूझना पड़ रहा है। एक ओर बीजेपी उनका सियासी किला ढ़हाने में लगी हुई है। वहीं दूसरी ओर सूबे में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए असदुद्दीन ओवैसी सक्रिय हो गए हैं। जो कि तृणमूल कांग्रेस के लिए बड़ी परेशानी का सब़ब बनता जा रहा है। इसी सियासी सरगर्मी के बीच आज ओवैसी होने वाली चुनावी रैली को पुलिस ने रोक दिया है।
एआईएमआईएम काफी पहले ही बंगाल में सियासी दांव आजमाने का ऐलान कर चुकी थी। इसी के मद्देनजर अल्पसंख्यक इलाके मेतियाब्रुज़ पार्टी के प्रदेश सचिव जमीर उल हसन ने एक चुनावी रैली का आयोजन किया गया था। जिसमें पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी शामिल होने वाले थे। स्थानीय पुलिस ने इस रैली के आयोजन को लेकर अनापत्ति पत्र (No objection letter) नहीं जारी किया। जिसके बाद से पार्टी का ये कार्यक्रम में खटाई पड़ता दिख रहा है।
पार्टी प्रदेश सचिव जमीर उल हसन ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि, आयोजित की जाने वाली इस चुनावी सभा के लिए करीब 10 दिन पहले कोलकाता पुलिस को आवेदन दिया गया था, लेकिन रैली शुरू होने से ठीक पहले पुलिस ने हमें सूचना देते हुए बताया कि इस रैली के लिए प्रशासनिक इजाजत (Administrative clearance) नहीं दी जाएगी। ऐसे में साफ है कि इसके पीछे तृणमूल कांग्रेस का हाथ है। हम उनकी साजिशों के सामने झुकने वाले नहीं है। जल्दी पार्टी के आला नेता इस मसले पर चर्चा करके कार्यक्रम की नई तारीखें जारी करेंगे। हालांकि इस दौरान उन्होंने कोलकाता पुलिस पर किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया।
एआईएमआईएम लगातार अल्पसंख्यकों के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाने में कामयाब होता दिख रहा है। जिससे कई पार्टियों में डर का माहौल बना हुआ है। ओवैसी देश के मुसलमानों के बीच भाजपा और कांग्रेस के बीच का विकल्प बनते दिख रहे हैं। हाल ही में अहमदाबाद मुंसिपल काउंसिल में सीटें जीतकर उन्होंने अपनी धमक का अहसास करवा दिया है। जल्द ही पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतरने की औपचारिक घोषणा भी कर सकती है।