सागों का सरदार है बथुआ, सबसे अच्छा आहार है बथुआ (Bathua)। बथुआ को अंग्रेजी में Lamb’s Quarters कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album है। साग और रायता बना कर बथुआ अनादि काल से खाया जाता रहा है। पौराणिक आख्यानों के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण (Lord Shri Krishna) ने विदुर के घर बथुयें का ही साग खाया था। विश्व की सबसे पुरानी महल बनाने की पुस्तक “शिल्प शास्त्र” में लिखा है कि हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग करने के लिये पलस्तर में बथुआ मिलाते थे?
पुराने समय में जब देश आजाद नहीं था और लोग गरीबी में जीवन यापन कर रहे थे तब हमारी बुजुर्ग महिलायें सिर से जू और डैंड्रफ (रूशी) साफ करने के लिये बथुए के पानी से बाल धोया करती थीं। बथुआ गुणों की खान है और भारत में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियां हैं तभी तो हमारा भारत महान है। बथुआ विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9 और C से भरपूर है और बथुए में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम और जिंक जैस मिनरल्स भी पाये जाते हैं। 100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन और 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं, और कुल मिलाकर इसमें 43 कैलोरी होती है।
जब बथुआ मट्ठा, लस्सी या दही में मिला दिया जाता है तो ये किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला और किसी भी दूसरे खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य और पौष्टिक आहार बन जाता है। जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डाक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली खाने की सलाह देते हैं। गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी और आयरन की गोली खाने के लिये बतायी जाती है। बथुए में ये सब कुछ है।
कहने का मतलब ये है कि बथुआ पहलवानों से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, बच्चों से लेकर बूढों तक सबके लिए अमृत समान है।
बथुआ का साग रोजाना खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ अमाशय को ताकतवर बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाये तो निरोग रहने के लिये ये सबसे उत्तम औषधि है। बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएं तो अच्छा है, अगर स्वाद के लिये मिलाना पड़े तो काला नमक मिलायें और देशी गाय के घी या सरसों तेल से छौंक लगायें। दही में बनाया हुआ बथुयें का रायता स्वादिष्ट होता है।
किसी भी तरह बथुआ जब तक मिले तब तक उसका सेवन करें। बथुए में जिंक होता है जो कि शुक्रवर्धक होता है। बथुआ कब्ज (Constipation) दूर करता है और अगर पेट साफ रहेगा तो कोई भी बीमारी शरीर में लगेगी ही नहीं ताकत और स्फूर्ति बनी रहेगी।
जब तक इस मौसम में बथुये का साग मिलता रहे रोजाना इसकी सब्जी खाए। बथुये का रस, उबाला हुआ पानी पियें तो ये खराब लीवर को भी ठीक कर देता है। पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शक्कर मिलाकर रोजाना पियें तो पथरी टूटकर बाहर निकल आयेगी। मासिक धर्म रूका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें आधा रहने पर छानकर पी जाये तुरंत लाभ होगा। आंखों में सूजन,लाली हो तो रोजाना बथुए की सब्जी खाएं। पेशाब के रोगी बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें। बथुए को निचोड़कर पानी निकाल कर ये भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिये नींबू, जीरा, जरा सी काली मिर्च और काला नमक डाल लें और पी जाये।