हेल्थ डेस्क (यामिनी गजपति): बेंगलुरु का सात महीने का बच्चा बेंटा (BENTA Disease) नाम की गंभीर और दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा है। दुनिया भर में सिर्फ 14 बच्चे ही इस बीमारी की चपेट हैं। दरअसल ये रोग बेहद दुर्लभ प्राथमिक इम्यूनोडिफीसिअन्सी विकार (Immunodeficiency Disorder) है। विजयद्रा का मामला दुनिया में बेंटा का पहला मामला है, जिसे उम्र और गंभीरता के लिहाज से शुरुआती दौर में ही पहचाना जा चुका है।
डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन इंडिया का कहना है कि बच्चा विजयद्रा की ज़िन्दगी सिर्फ ब्लड़ स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Blood Stem Cell Transplant) के जरिये ही बचायी जा सकती है। जिसके लिये बेंगलुरु का ब्लड स्टेम सेल रजिस्ट्री बच्चे के लिये मैचिंग डोनर की तलाश के लिये कोर्डिनेशन कर रहा है। बता दे कि देश में सिर्फ 0.04 फीसदी आबादी संभावित डोनर के तौर पर रजिस्टर्ड है।
बेंटा नाम की गंभीर और दुर्लभ बीमारी एनएफ-κबी और टी-सेल एनर्जी के साथ बी-सेल एक्सपेंशन (B-cell Expansion) से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है। बी-सेल बोन मैरो से निकलने वाली एक तरह का इम्यून सेल है और इस मामले में इसकी तादाद नॉर्मल से ज़्यादा होती है।
NF-κB एक प्रोटीन कॉम्प्लेक्स है, जो जीन एक्सप्रेशन में शामिल होता है, या ये वो जीन डिग्री है जिस तक कुछ जीन चालू या बंद होते हैं। टी-सेल एक तरह का इम्यून सेल है, जो थाइमस में मैच्योर होता है, ये ब्रेस्टबोन के नीचे ऊपरी छाती में स्थित एक छोटा अंग। अनर्जी की अवस्था के दौरान शरीर में घुसे बाहरी तत्वों पर ‘सामान्य से कम’ (टी सेल) इम्यून रिएक्शन (Immune Reaction) होता है।
शैशवास्था में बेंटा बीमारी के दौरान इसी इम्यून सेल्स में बड़े पैमाने पर इसी तरह की विशेषतायें देखी गयी है। इसमें बढ़े हुए प्लीहा, बढ़े हुए लिम्फ नोड्स, इम्यूनोडेफिशिएंसी और लिम्फोमा (Lymphoma) का जोखिम काफी बढ़ जाता है, जो कि एक तरह का कैंसर है।
बेंटा रोग का डायग्नोस क्लीनिकल और प्रयोगशाला में की गये जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing) के नतीज़ों के आधार पर लगाया जाता है। फिलहाल ये साफतौर पर सामने आया है कि जिन लोगों में ‘CARD11 म्यूटेशन’ होता है, उन लोगों को बच्चों में 50% संभावना के साथ ये रोग विरासत में मिल सकता है।
इस मुख्य लक्षणों में प्लीहा का बढ़ना (Splenomegalia), साइनस और फेफड़ों में संक्रमण खासतौर से शामिल है। सभी लोगों के शरीर में CARD 11 जीन की प्रतियां होती है, जिनमें से उसे अपने माता-पिता से विरासत में मिलती है। किसी व्यक्ति को बेंटा रोग होने के लिये कार्ड 11 की दो प्रतियों में से सिर्फ एक का अब्नॉर्मल होना जरूरी है।
जिन बच्चों को ये म्यूटेशन विरासत में नहीं मिलता है, उनमें ये रोग नहीं देखा गया है। साथ ही वो अपनी अगली पीढ़ी तक ये म्यूटेशन या रोग आगे नहीं पहुँचाते है। बी-सेल कैंसर के किसी भी लक्षण के लिये बेंटा रोग वाले मरीज़ों की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिये।