Road Accidents: जैसे-जैसे विज्ञान आगे बढ़ता है, नई तकनीक आती है। यदि नये बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाता है तो ये मनुष्य के जीवन को आसान और लंबा बनाता है। लेकिन जैसे-जैसे हमारे देश में हाइवे बनते जा रहे हैं और नयी तकनीक वाली कारें बाजार में आ रही हैं, सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की तादाद भी बढ़ती जा रही है। इसका मतलब ये हुआ कि जहां हमारे देश में हाईवे बन गये हैं, बड़ी कारें और दोपहिया वाहन भी आ गये हैं, हमारे देश के लोगों को पता नहीं है कि इन अत्याधुनिक चौड़ी सड़कों पर नियम-कायदों के साथ दुनिया भर से आने वाली नयी नवेली तकनीक वाली गाड़ियों को कैसे चलाया जाये।
केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय (Union ministry of road and transport) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में गंभीर सड़क हादसों में मरने वालों की तादाद में काफी इजाफा हुआ है। साल 2020 में देशभर में कुल 3,66,000 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें से 1,20,000 सड़क दुर्घटनाएँ ऐसी थीं जिनमें एक या एक से ज़्यादा लोग मारे गये। साल 2020 में हर 100 गंभीर सड़क हादसों में 36 लोगों की मौत हुई थी। साल 2019 में ये आंकड़ा 33 था। 2020 वही साल था जब भारत में कोरोना वायरस की महामारी आयी थी और देशभर में लॉकडाउन लगा दिया गया था।
2020 के 365 दिनों में से 68 दिन देशव्यापी लॉकडाउन लगा हुआ था। उस साल हमारे देश की सड़कें खाली थीं, लेकिन इससे सड़क हादसों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। साल 2020 में देश में कोविड-19 से 1.5 लाख लोगों की मौत हुई। इस पर हमारे देश की सरकारों से लेकर जनता तक सभी ने चिंता जतायी लेकिन दूसरी तरफ उस साल सड़क हादसों में 1.31 लाख लोगों की मौत हुई थी, लेकिन आज कोई भी इस बारे में ज्यादा बात नहीं कर रहा है।
इन सबका पहला कारण है ओवर-स्पीडिंग (Over-Speeding)। साल 2020 में हुई सड़क दुर्घटनाओं में से 73 फीसदी मामलों में निर्धारित रफ्तार से तेज गाड़ी चलाने की वज़ह से सड़क हादसा हुआ। करीब 70 फीसदी मौतें भी तेज रफ्तार के कारण हुईं। दूसरा बड़ा कारण है रॉन्ग साइड ड्राइविंग (wrong side driving)। इससे करीब 6 फीसदी यानि कि 7,332 लोगों की मौत हुई। हेलमेट न पहनने से 39,589 लोगों की मौत हुई।
64 प्रतिशत सड़क दुर्घटनायें इसलिये हुईं क्योंकि सड़कें चौड़ी थीं और लोगों को लगा कि वो इन चौड़ी सड़कों पर पूरी रफ्तार से गाड़ी चला सकते हैं।
ये सभी आंकड़े बताते हैं कि हमारे देश में चौड़ी सड़कों का निर्माण हुआ है और हमने चलने के लिये नवीनतम तकनीक के साथ कारों के लिये एक्सप्रेसवे (Expressway) और बड़े हाइवे भी बनाये हैं। लेकिन इन चौड़ी सड़कों और कारों की नवीनतम तकनीकों को एक साथ कैसे इस्तेमाल किया जाये, ये हमारे देश के लोगों के आज तक समझ नहीं आया है।
सड़क हादसों की दिशा कई सुधार करने के प्रयास किये जा रहे हैं- लेकिन उन प्रयासों से हर कोई रूख़ मोड़ने को तैयार है। राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 9 पर बुराड़ी देश के ब्लैक स्पॉट में से एक है। पिछले दो सालों में वहां 46 दुर्घटनायें, 18 मौतें और 25 लोग घायल हुए हैं। इसलिए इस स्पॉट को जीरो फैटलिटी जोन बनाने का काम किया जा रहा है। बुराड़ी चौराहे (Burari Crossroads) पर बैरियर, स्प्रिंग पोस्ट और कोन लगाकर पैदल चलने वालों, साइकिल सवारों और ऑटो स्टैंड की जगह को अलग किया गया है।
केंद्र सरकार विश्व बैंक (World Bank) की मदद से 7,500 करोड़ रुपये की एक योजना लायी है, जिसके इस्तेमाल से राजमार्गों पर दुर्घटनाओं की वज़हों को ठीक किया जा सकता है। लेकिन सबसे बड़ी वजह लोगों का नजरिया है- इसे कैसे बदला जाये ये अपने आप में बड़ा सवाल है।
सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुल दुर्घटनाओं में से 71 प्रतिशत दुर्घटनाये तेज गति से होती हैं। बाकी कारणों में शामिल हैं – देश में सड़कों का खराब डिज़ाइन – सड़कों पर गड्ढे, स्पीड ब्रेकर नहीं होना या यातायात नियमों का बहुत अधिक उल्लंघन और पुराने वाहनों का सड़क पर चलना।
साल 2019 में आर्थिक नुकसान का आकलन करने के लिये बनायी गयी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में दुर्घटनाओं से 8 लाख गाड़ियां तबाह हो गयी और देश को एक साल में लगभग 180 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। लेकिन इससे भी बड़ा नुकसान उन लोगों का है, जो हर दिन असमय अपनी जान गंवा रहे हैं। भारत में सड़क हादसों में मरने वालों में 65 फीसदी लोग 18 से 45 साल की उम्र के लोग हैं, यानि भारत सड़क हादसों में अपनी युवा आबादी खो रहा है। इसलिए धीमे चलें और सुरक्षित रहें। क्योंकि घर में कोई आपका इंतजार कर रहा है।