न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): आज DGCI (Drugs Controller General of India) ने Covaxin और Covishield के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दे दी। इस्तेमाल होने से पहले ही भारत बायोटेक की कोवैक्सीन विवादों के घेरे में आ गयी है। ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क (AIDAN) ने दावा किया कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को दी गयी मंजूरी हैरान करने वाली है। इसकी कारण क्षमता को लेकर पुख़्ता आंकड़े जारी नहीं किये गये। जिस तरह से वायरस का म्यूटेंट स्ट्रेन (Mutant strain of virus) सामने आ रहा है। उसे देखते हुए एसईसी सिफारिश पशोपेश में डालती है। बिना बुनियादी परीक्षण के टीका उपयोग के लिए उतार देना बड़ी समस्यायें खड़ी कर सकता है।
AIDAN ने आगे कहा कि, हम औषधि नियंत्रक महानिदेशक से आग्रह करते है कि इसे बारे में वो पुर्नविचार करे। आरईयू अप्रूवल देने की प्रक्रिया पर दुबारा सोचा जाना चाहिए। फिलहाल के लिए इसे इस्तेमाल के लिए मिली मान्यता को स्थगित कर देना चाहिए। भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने संयुक्त रूप से कोवैक्सीन को विकसित किया है। जिसके तीसरे क्लीनिकल ट्रायल में आंकडे पेश नहीं किये गये है। ये आंकड़े वैक्सीन का कारगर क्षमता से जुड़े हुए होते है। अभी तक सिर्फ पहले और दूसरे क्लीनिकल ट्रायल के आंकड़े ही सामने आये है। जिसके आधार पर आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी गयी है। इसके तहत दोनों चरणों को मिलाकर ट्रायल में 755 लोग शामिल हुए। जिन पर प्लासिबो (Placebo) और ऑरिजिनल वैक्सीन ट्रायल किया गया। ऐसे में आंकड़ो की बुनियाद जब एसईसी द्वारा फैसला लिया जाता है तो उसे सार्वजनिक किया जाता है। बावजूद इसके प्रक्रिया को बायपास किया गया। जिसे DGCI ने भी मंजूर कर लिया।
कोवैक्सीन के बारे में AIDAN ने ये भी दावा किया कि, वायरस के नया स्ट्रेन के खिलाफ ये कितनी कारगर है। इसे लेकर भी पर्याप्त संशय है। अभी तक कोई भी वैज्ञानिक आधार सामने नहीं आया, जो कि ये बताता हो कि नये वायरस स्ट्रेन के खिलाफ ये मानव शरीर को कितनी प्रतिरोधक क्षमता मुहैया करवायेगी। इस प्रभावशीलता को लेकर जो दावे किये जा रहे है। वो फिलहाल अभी वैज्ञानिक कसौटी (Scientific criterion) पर खरे नहीं उतरते। ऐसे में हम एसईसी के शीर्ष विशेषज्ञों की मंजूरी को लेकर काफी अचंभित है। उन्होनें किस तर्क के आधार पर टीके को इतनी तेजी के साथ अप्रूवल दे दिया।
एआईडीएएन ने आगे कहा कि- वैज्ञानिक पारदर्शिता और लोककल्याण को केन्द्र रखते हुए हम जानना चाहते है कि नियामकों ने किस आधार पर ये फैसला लिया। जबकि ब्रिटेन का एमएचआरए अभी भी एस्ट्राजेनेका/ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की समीक्षा में लगा हुआ है। उनके पास अभी भी पर्याप्त जानकारी की कमी है। संदिग्धतता इसलिए और भी बढ़ जाती है, क्योंकि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और आईसीएमआर ने इससे जुड़े दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल का अंतरिम डेटा (Interim data) जगज़ाहिर नहीं किया है। बिना ट्रायल डेटा के नियामक मंजूरी की प्रक्रिया में विचार तक नहीं किया जाता है।