Crime: इन दिनों मीडिया की व्यस्तता का आलम ये है कि वह एक खबर को पकड़ने जाता है तो दूसरी छूट जाती है और वहीं बॉलीवुड (Bollywood) का हाल ये है कि वो एक कारनामे को ढांकने जाता है तो दूसरा खुल जाता है। चादर छोटी पड़ने लगी है। मैली दिखने लगी है। छेद झांकने लगे हैं।
नशा, अपने आप में अपराध है और नशे की वज़ह से होने वाले अपराधों की सूची तो अंतहीन है। स्वच्छता अभियान जोरों पर है। लेकिन क्या ये गंदगी सिर्फ बॉलीवुड में है ? ईमानदारी से दिल पर हाथ रख कर समाज पर नज़र दौड़ाइये … न राजनीति बची है, न मीडिया पवित्र है, न हमारे अपने घरों के आसपास का वातावरण शुद्ध रह गया है।
पतन की दौड़ (Fall Race) में गिरने की होड़ मची है। हर कोई कुछ नया, कुछ रोमांचक, कुछ हटकर करने की बेचैनी में है और संतुष्टि कहीं नहीं मिल रही क्योंकि व्यक्ति जानता ही नहीं है कि आखिर वो चाहता क्या है … आखिर ऐसा क्या मिल जायेगा तो उसे राहत मिल जायेगी … बहरहाल बात करते हैं देश के “नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो” की और उससे जुड़े विभागों की। जिसका काम सिर्फ सिगरेट, तम्बाकू और शराब पर वैधानिक चेतावनी लिखवाना भर रह गया है।
यूँ तो बॉलीवुड के चौंधियाते उजालों की तेज लाइट और कानफोड़ू म्यूजिक के नीचे दबी कालिमा से सभी वाकिफ़ हो चुके हैं। नशा, बच्चे से लेकर महिलाओं तक के जिस्म के कारोबार, एक दूसरे से आगे निकल जाने की छटपटाहट, वर्चस्व की लड़ाई, नकली दुनिया के नकली रंग रूप को बनाये रखने की अकुलाहट, जगह के छिन जाने की असुरक्षा के चलते यहां एक दूसरे को बर्दाश्त करने का माद्दा खत्म होता जा रहा है। कारण ... कुछ दिनों की जांच ... पूछताछ और फिर मामला रफा दफा।
बॉलीवुड में ड्रग्स, हशीश और गांजे का सेवन और कारोबार आम बात हो गई है। इससे जुड़े बड़े-बड़े नामों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि सिर्फ नामों से ही ये आर्टिकल भर जाये। और हमारी 'एनसीबी' क्या कर रही है ... पिछले कई सालों से ... सिर्फ जांच ...
सुशांत सिंह केस (Sushant Singh Case) की मिसाल आपके सामने है। और दो चार साल जांच के बाद केस बंद ... और लोग भी भूल जायेगें। राज कुंद्रा केस का क्या हुआ ? ... इससे पूर्व दिव्या भारती और श्री देवी की मौत भी अभी तक राज है ... और भी कई छोटे-मोटे नाम हैं जिनकी मौत, गुमशुदगी और न जाने कितने न्यूकमर का शारीरिक शोषण (Physical Abuse Of Newcomer)।
आखिर क्यों इन बड़ी मछलियों पर कोई हाथ नहीं डालता। और किसी दबाव और मजबूरी में पकड़ा भी जाता है, तो महज कुछ दिन जांच का दिखावा कर ... क्यों छोड़ दिया जाता है।
आखिर क्यों ... आखिर क्यों ...