वाह, सरकार जनता को किस तरह देश के आर्थिक हालात (Indian Economic conditions) दिखा रही है। क्या सरकार इस बात का जवाब दे सकती है कि 49% फीसदी पैसा यस बैंक (Yes Bank) को खरीदने के लिए कहां से आएगा? यह न तो किसी बैंक का पैसा है और न ही यह सरकार का है, बल्कि करदाताओं (Taxpayers) की गाढ़ी कमाई इकट्ठा किया गया टैक्स का पैसा है। अब सेंसेक्स (Sensex) का धड़ाम से नीचे आना रोज की बात हो गयी है। इसके साथ ही निवेशकों (Investors) को रोज अरबों रूपये की चपत लग रही है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है ? इसके पीछे बैंकर्स, नौकरशाह, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और नेताओं (Nexus of Bankers, Bureaucrats, Chartered Accountants and Leaders) का एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है। साथ ही ये नियामक संस्थाओं (Regulatory bodies) की भी नाकामी है, जिसका सीधा फायदा राणाकपूर एंड फैमिली (Rana kapur and Family) को मिला। नियामक संस्थाओं लापरवाही की की वज़ह से आर्थिक लुटेरे (Financial robbers) के पक्ष में लूट का माहौल तैयार होता है। चंदा कोचर, नीरव मोदी और विजय माल्या से होती हुई ये फेहरिस्त काफी आगे तक जाती है। क्या किसी में हिम्मत है इन लोगों को ये हरकत दुबारा करने से पहले कुचला जा सके।
देश को लूटता बड़ा गिरोह
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