नई दिल्ली (शैषेन्द्र गजपति): अप्रवासी पेशेवर कामगारों (Immigrant professional workers) पर अहम फैसला लेते हुए, सभी H1B VISA धारकों की वीज़ा अवधि त्वरित प्रभाव से निलंबित कर दी गयी है। इस साल के आखिर तक ये निलम्बन का ये फैसला पूरी तरह लागू कर दिया जायेगा। अमेरिकी प्रशासन (US Administration) के इस कदम से सबसे ज़्यादा नुकसान भारतीय पेशेवरों (Indian professionals) को होगा। अब वीज़ाधारकों को स्टैम्पिंग (Stamping) के लिए कम से कम एक साल की प्रतीक्षा करनी होगी। साथ ही रिन्यूवल के लिए भी तकरीबन एक साल का इंतज़ार करना होगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) के मुताबिक, इस फैसले से उन अमेरिकियों को मदद मिलेगी, जिनकी नौकरियां कोरोना और आर्थिक संकट के कारण खत्म हो गयी थी। अमेरिकी प्रशासन के इस फैसले से अप्रवासी पेशेवरों में खासा नाराज़गी है।
H-1B, H-2B, J-1 व L-1 वीजा पर स्थगन लागू करने से अमेरिकी रोजगार प्रदाता (Employers) सहित कई लोगों पर इसका गहरा असर होगा। कयास ये भी लगाये जा रहे है कि, इस फैसले से अमेरिकी आर्थिक रफ्तार (American economic pace) में सुस्ती देखने को मिल सकती है। American Immigration Lawyers Association ने अमेरिकी प्रशासन के इस निर्णय पर गंभीर चिंता जाहिर की है। Covid-19 के प्रकोप के कारण अमेरिका में बेरोजगारी (Unemployment) की दर में खासा इज़ाफा देखा गया है। व्हाइट हाउस में बैठे नीति नियन्ता (Policy controller) काफी लंबे समय से आव्रजन के इस फैसले पर सोच-विचार कर रहे थे। H-1B की मदद से अमेरिकी कंपनियां दूसरे देशों के पेशेवरों को अमेरिका में काम करने के लिए वैधानिक मान्यता (Legal recognition) दिलवाती थी। सतही तौर पर इसका सबसे ज़्यादा असर अमेरिका के सूचना प्रौद्योगिकी सैक्टर (US Information Technology Sector) को होगा, जिसका खामियाजा कई भारतीय पेशेवरों को भुगतना होगा। क्योंकि अमेरिका के आईटी सैक्टर में ज़्यादातर भारतीय काम करते है।
बात करे H-1B वीज़ा की तो, ये एक गैर-प्रवासी वीज़ा है। जिसकी मदद से अप्रवासी पेशेवरों को अमेरिका में काम करने की अनुमति मिलती है। इसके इस्तेमाल से दूसरे देश का कोई भी नागरिक छह साल तक अमेरिका में अपनी पेशेवर सेवायें दे सकता है। इसे हासिल करने के कुछ पैमाने भी निर्धारित किये गये है, इसके तहत पेशेवर व्यक्ति को किसी खास क्षेत्र में स्नातक (Graduate) होना जरूरी है। साथ ही जो कंपनी अपने संस्थान में अप्रवासी पेशेवर नौकरी देगी तो उसे न्यूनतम 45 लाख रूपये की वार्षिक आय का भुगतान करना जरूरी होगा। कोई भी पेशेवर यदि लगातार पाँच सालों तक वीज़ा की मदद से काम करता है तो, वे अमेरिका की स्थायी नागरिकता (Permanent citizenship) हासिल करने के लिए प्रार्थना पत्र जमा करवा सकता है। जिस पर स्थानीय प्रशासन विचार करेगा।