न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): बिहार सरकार (Government of Bihar) ने पिछले एक साल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MANREGA) के तहत 1.2 करोड़ से ज्यादा निष्क्रिय जॉब कार्ड रद्द कर दिये। राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (Rural Development Minister Shravan Kumar) ने इस मुद्दे पर कहा कि- “सरकार ने इस वक्त के दौरान सूबे के कई जिलों में मजदूरों को 23.07 लाख नये जॉब कार्ड भी मुहैया करवाये हैं।
बिहार सरकार की ओर से आज (1 अप्रैल 2023) जारी जानकारी के मुताबिक बिहार ग्रामीण विकास विभाग (30 अप्रैल तक) ने छानबीन के दौरान 3,85,69,626 में से कुल 1,23,13,927 जॉब कार्ड पिछले कई सालों से निष्क्रिय पाये। कुछ मामलों में जॉब कार्ड फर्जी पाये गये या फिर जारी किये गये कई जॉब कार्ड आधार नंबर से जुड़े नहीं थे, साथ ही कई लाभार्थियों की मृत्यु हो गयी थी, इस वज़ह से उनके जॉब कार्ड लंबे समय से इनएक्टिव थे।”
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि- “हमने फिजिकल वेरिफिकेशन के बाद ऐसे सभी कार्ड रद्द कर दिये हैं। इसके अलावा उन मजदूरों के जॉब कार्ड जो पहले MGNREGS की नौकरी हासिल कर चुके थे और राज्य से पलायन कर गये थे, वो भी पिछले कई सालों से निष्क्रिय पाये गये हैं।”
बता दे कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (मनरेगा) का मकसद एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार मुहैया करवाकर देश के ग्रामीण इलाकों में गरीब परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है।
बिहार सरकार की ओर से सबसे ज़्यादा जॉब कार्ड वैशाली (8,89,150), इसके बाद पटना (7,55,308), समस्तीपुर (6,30,654), अररिया (6,14,530), दरभंगा (5,79,778), औरंगाबाद (2,20,330) और बेगूसराय (3,13,696) में रद्द किये गये।
इस योजना के तहत बिहार सरकार ने 2022-23 वित्तीय वर्ष में सूबे के अलग-अलग हिस्सों में 1.26 करोड़ कार्डधारकों को नौकरी दी थी। बिहार सरकार ने नौकरी चाहने वालों को उनकी मांग के 15 दिनों के भीतर योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। साथ ही मनरेगा के दिशानिर्देशों का पालन करने में नाकाम रहने पर संबंधित सरकारी अधिकारियों पर जुर्माना भी लगाया गया।