न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): अरुणाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) के सात में से छह विधायकों को अपने पाले में कर लिया है। जिसके बाद से गठबंधन में अंदरूनी रार ठन सकती है। अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका में है और सरकार भाजपा की। जनता दल यूनाइटेड ने आधिकारिक प्रतिक्रिया (Official response) दर्ज करवाते हुए इसे गठबंधन धर्म के खिलाफ बताया। इस प्रकरण के बाद से कई राजनीतिक जानकार खुलकर कह रहे है कि बीजेपी किसी भी प्रदेश में मजबूत पकड़ बनाने के लिए एनडीए गठबंधन में तोड़-फोड़ करने से भी गुरेज नहीं करेगी।
भाजपा की इस कवायद धमक राजधानी पटना में भी देखने को मिली। जहां इस राजनीतिक प्रकरण (Political episode) पर काफी चर्चा हो रही है। बीजेपी ने इस काम को उस वक्त अंज़ाम दिया, जब अरुणाचल के जेडीयू विधायकों को राष्ट्रीय कार्यसमिति और राष्ट्रीय परिषद की बैठक में शामिल होने पटना आना था। जेडीयू से भाजपा के खेमे में शामिल होने वाले ये विधायक है- कांगांग टाकू, हायेंगा मांगफी, तलेम ताबोह, जिके ताको, दोरजी वांग्डी खरमा और डोंगरू सिंयोंग्जू। बागी विधायकों ने तलेम ताबोह को अपना नेता घोषित किया। साथ ही अरुणाचल के भाजपा अध्यक्ष को खत लिखकर पार्टी में शामिल होने की मंशा ज़ाहिर की।
साल 2019 के अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 15 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। जिनमें से 7 सीटों पर जेडीयू ने जीत का स्वाद चखा था। मौजूदा हालातों में अरुणाचल जेडीयू के पास एक ही विधायक बचा हुआ है। इस मसले पर जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि- जेडीयू अरुणाचल में विपक्ष की भूमिका में है। वहां बिना बाहरी/अतिरिक्त समर्थन के भी भाजपा सरकार बड़ी आसानी से चल सकती है। फिलहाल इस राजनैतिक घटनाक्रम का असर बिहार में जेडीयू और बीजेपी के सियासी तालुक्कातों पर नहीं पड़ेगा। बिहार के राजनैतिक हालात अरूणाचल प्रदेश से बेहद अलग है।