न्यूज डेस्क (गंधर्विका वत्स): राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT- National Green Tribunal) ने उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले (Gonda District) के कुछ गांवों में भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह (BJP MP Brij Bhushan Singh) की ओर से अवैध खनन का दावा करने वाली याचिका पर ज़मीनी हालातों को जानने के साथ साथ वाज़िब कार्रवाई करने के लिये एक पैनल का गठन किया।
याचिका में आरोप लगाया गया कि कैसरगंज (Kaiserganj) से सांसद सिंह की ओर से जिले के तरबगंज तहसील (Tarabganj Tehsil) के माझारथ, जैतपुर और नवाबगंज गांवों (Jaitpur and Nawabganj villages) में ‘अवैध खनन’ किया जा रहा है। याचिका में ये भी आरोप लगाया गया कि हर दिन 700 से ज्यादा की तादाद में ओवरलोडेड ट्रकों के जरिये निकाले गये खनिजों का गैरकानूनी ट्रांसपोर्टेशन से पटपड़गंज पुल और सड़क को भारी नुकसान पहुँचा है और साथ ही लगभग 20 लाख घन मीटर के खनिजों का भंडारण कर उनकी गलत तरीके से बिक्री की गयी है।
न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी (Justice Arun Kumar Tyagi) और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि, “प्रथम दृष्टया आवेदन में दी गयी दलीलें पर्यावरण से जुड़े गंभीर सवाल उठाते हैं। आवेदन में किये गये दावों के मद्देनजर हम ये मानते हैं कि जमीनी हालातों को समझने और वाज़िब कार्रवाई करने के लिये एक संयुक्त समिति का गठन किया जाये।”
ट्रिब्यूनल ने एक संयुक्त समिति का गठन किया जिसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण (यूपीपीसीबी) और जिला मजिस्ट्रेट गोंडा (District Magistrate Gonda) शामिल है।
इसने समिति को एक हफ्ते के भीतर बैठक करने, मौके का दौरा करने, आवेदक की शिकायतों पर गौर करने, आवेदक और संबंधित परियोजना के प्रतिनिधि को जोड़ने, ज़मीनी हालातों को समझने और वेरिफाई करने के साथ साथ उचित प्रक्रिया का पालन करके कानून सम्मत कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही कानून और परियोजना प्रस्तावक की सुनवाई को पूरा मौका देने की भी बात कही गयी।
मामले पर ट्रिब्यूनल ने कहा कि, “समिति खासतौर से सतत रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देश 2016 और रेत खनन के लिये इंफोर्समेंट और निगरानी दिशानिर्देश, 2020 के अनुपालन पर सफाई दे सकती है, जिसमें खनन इलाकों के निवारण/पुनर्वास और सरयू नदी को हुआ नुकसान भी शामिल है।”
इसमें आगे कहा गया कि तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट दो महीने के भीतर जमा करनी होगी। मामले को आगे की कार्यवाही 7 नवंबर को होगी। बता दे कि भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में भी फंसे हुए हैं।