न्यूज़ डेस्क (समरजीत अधिकारी): राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने चीन के मसले पर पीएम मोदी (PM Modi) पर तीखा हमला किया है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि- चीन ने हमारे फौजी मारे, हमारी सरज़मी पर कब़्जा किया। फिर भी चीन मोदी जी की तारीफों के कसीदे पढ़ रहा है। राहुल गांधी ने अपनी ट्विट के साथ एक खब़र का हवाला दिया। जिसकी हेडलाइन थी- चाइनीज मीडिया लॉड्स मोदीज स्पीच (चीनी मीडिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण की सराहना की)
वहीं दूसरी ओर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP president JP Nadda) ने पूर्ववर्ती यूपीए-1 और यूपीए-2 पर निशाना साधते हुए कहा कि- मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान भारत की सैकड़ों वर्ग किलोमीटर ज़मीन पर चीन ने कब़्जा कर लिया। लेकिन सरकार में विरोध की आव़ाज तक नहीं उठी। साल 2010 से 2013 के दौरान बीजिंग (Beijing) के शह पर पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (People’s Liberation Army) के सैनिकों ने भारतीय इलाकों में 600 बार घुसपैठ की। तब कांग्रेस के आक्रामक तेवर कहां थे। जेपी नड्डा ने ट्विट कर लिखा कि- कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ज़वानों की वीरता और शौर्य पर सवाल उठाना बंद करे। नाज़ुक हालातों के बीच कांग्रेसी नेताओं को राष्ट्रीय एकता (National unity) के वास्तविक मायने समझने होगें।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई (News agency ANI) के मुताबिक- 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई सैन्य झड़प में चीनी सेना का एक सीओ भी मारा गया था। जिसकी पुष्टि सैन्य वार्ता के दौरान खुद चीन की ओर से हुई थी। चीन से लगी सीमा पर सामरिक तनाव (Strategic tension) कम करने के लिए कॉर्प्स कमांडर (Corps commander) स्तर की बैठक निर्धारित की गयी है। खब़र लिखे जाने तक ये बैठक चीनी सेना के मोल्डो इलाके में चल रही थी। बीते 6 जून को दोनों देशों के डिवीजन कमांडरों (Division commanders) के बीच मींटिग हुई थी, जिसके बाद दोनों ओर के ज़वानों की पूर्व स्थिति में तैनात होने के आदेश दिये गये थे। बावजूद इसके पीएलए ने पैगोंग त्सो (Paigong Tso) सहित कई इलाके से सैनिकों को पीछे हटने के आदेश नहीं जारी किये थे।
कांग्रेस को अपनी मौजूदा राजनीति में परिपक्वता लानी होगी। देश बहुत ही गंभीर बाहरी संकट से जूझ रहा है। ऐसे संवेदनशील हालातों (Sensitive circumstances) में सीमाई मुद्दे पर बेलगाम बयान देना कहीं ना कहीं राजनीतिक दलों के पारस्परिक एकजुटता को खंडित करता है। मामला देश की संप्रुभता, अखंडता और अक्षुण्णता (Sovereignty & Integrity) से जुड़ा हुआ है। इसीलिए सभी सियासी पार्टियों का इस मुद्दे पर एकमत, एकजुट और एक सुर रहना बेहद जरूरी है।