न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): गृह मंत्री अमित शाह ने बीते शुक्रवार (8 अप्रैल 2022) को हिंदी भाषा के महत्व के बारे में बात की और कहा कि इसे अंग्रेजी के विकल्प के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जाना चाहिये, न कि स्थानीय भाषाओं के। इस बयान ने कई लोगों के साथ वैचारिक तालमेल बिठाया और भारत के शीर्ष राजनीतिक नेताओं के बीच इसकी कुछ आलोचना हुई।
कर्नाटक के विपक्ष के नेता सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ने हिंदी के इस्तेमाल पर जोर देने के लिये अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा (BJP) देश पर “सांस्कृतिक आतंकवाद” फैला रही है और हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा नहीं है। कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने टैगलाइन “#IndiaAgainstHindiImposition” का इस्तेमाल करते हुए लिखा कि- “कन्नड़ होने के तौर पर मैं आधिकारिक भाषा और संचार के माध्यम पर गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) के बयान पर कड़ी आपत्ति जताता हूं। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है और हम इसे कभी लागू नहीं होने देंगे।”
विपक्षी नेता सिद्धारमैया ने शाह पर इस तरह के बयान से अपने गृह राज्य गुजरात के साथ विश्वासघात करने का भी आरोप लगाया, जहां मातृभाषा गुजराती है। उन्होंने कहा कि शाह अपने राजनीतिक एजेंडे के लिये अपने गृह राज्य को धोखा दे रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि, “हिंदी को थोपना सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) के बजाय जबरदस्ती संघवाद का प्रतीक है। हमारी भाषाओं के बारे में भाजपा के अदूरदर्शी दृष्टिकोण को सुधारने की जरूरत है और उनकी राय सावरकर जैसे छद्म राष्ट्रवादियों से ली गयी है।
ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी (TMC) ने भी अमित शाह के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि हिंदी भारत की आधिकारिक भाषा नहीं है। टीएमसी ने कहा, ‘अगर अमित शाह और बीजेपी गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसका विरोध किया जायेगा। इस देश के लोग, जहां इतनी विविधता है, ऐसी बात को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।”
तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलानीवेल त्यागराजन (Tamil Nadu Finance Minister Palanivel Thiagarajan) ने भी भारत में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिये अमित शाह की आलोचना की, और कहा कि “तीन-भाषा सूत्र” का कोई मतलब नहीं है और ये पूरी तरह से “तर्कहीन” है।
तमिलनाडु के वित्तमंत्री ने कहा कि, “मेरे पास तीन भाषा का फॉर्मूला क्यों होना चाहिये? इसका कोई मतलब नहीं है … केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का ये बयान पूरी तरह से बेबुनियाद है। हिंदी देश के कम से कम 60 प्रतिशत-70 प्रतिशत के लिये आंतरिक भाषा नहीं है…न सिर्फ ये अराजकता है बल्कि ये आर्थिक रूप से उलटा तर्क है।
कांग्रेस पार्टी ने आगे कहा कि- शाह और भाजपा पर अपने राजनीतिक एजेंडे के जरिये मुद्रास्फीति और मूल्य वृद्धि जैसे मुद्दों से आम आबादी का ध्यान भटकाना चाहती है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि हिंदी राजभाषा (राजभाषा) है न कि राष्ट्रभाषा (राष्ट्रीय भाषा)।
बता दे कि अमित शाह ने बीते गुरुवार (7 अप्रैल 2022) को कहा था कि हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिये न कि स्थानीय भाषाओं के लिये। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसला किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है, जिससे हिंदी का महत्व बढ़ेगा।