ऐसी कौन सी बातें हैं, जो भाजपा (BJP) को देश की दूसरी सियासी पार्टियों से अलग बनाती हैं? कल (6 अप्रैल 2022) बीजेपी का 42वां स्थापना दिवस था। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने तीन अहम बातें कही। पहला ये कि इस देश में जो पार्टियां जो सिर्फ कुछ परिवारों द्वारा चलायी जा रही हैं, उन्होंने दशकों तक भारत की जनता के साथ विश्वासघात किया। दूसरा भाजपा देश की एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो लोगों को वोट बैंक (Vote Bank) की राजनीति के नुकसान को समझाने में कामयाब रही है। तीसरा भाजपा की कोशिश है कि योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।
ये आयोजन दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय (National Headquarters of BJP) में हुआ था और इस दौरान फ्रांस, इटली, स्विटजरलैंड, पोलैंड, सिंगापुर और बांग्लादेश जैसे 13 देशों के राजनयिक भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे।
6 अप्रैल 1980 को पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी (Atal Bihari Vajpayee and LK Advani) ने भारतीय जनता पार्टी का गठन किया। हालाँकि भाजपा विचारधारा के रूप में साल 1951 में वजूद में आ चुकी थी। उस समय श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Shyama Prasad Mukherjee) ने राष्ट्रवाद की विचारधारा पर भारतीय जनसंघ की स्थापना की। साल 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद भारतीय जनसंघ (Bharatiya Jana Sangh) का जनता पार्टी में विलय हो गया। इस विलय का कारण ये था कि ये सभी दल आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी को हराना चाहते थे।
भाजपा ने साल 1984 में अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल की। ये भाजपा के लिये बड़ी हार थी क्योंकि उसने 224 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन इसके बाद बीजेपी ने जमीनी स्तर पर अपने संगठन को मजबूत करने का काम किया और अपनी स्थापना के मात्र 16 सालों में ये देश की सबसे बड़ी पार्टी बन गयी।
साल 1996 के लोकसभा चुनाव में इसने 161 सीटें जीती और देश की सबसे बड़ी पार्टी बनी। उस समय भाजपा ने गठबंधन सरकार बनायी जो कि सिर्फ 13 दिनों के लिये सत्ता में रही। इसके बाद साल 1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी रणनीति बदली और कई पार्टियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का गठन किया। लेकिन तब जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक (AIADMK) ने भाजपा से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिसके कारण 13 महीने में ये सरकार गिर गयी। हालाँकि इन 13 महीनों में भाजपा भारत के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गयी। क्योंकि इसी दौरान भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण (Nuclear Test In Pokhran) किया।
साल 1999 में जब फिर से लोकसभा चुनाव हुए तो भाजपा ने 183 सीटें जीती और ये सरकार भारत के इतिहास में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बन गयी। ये वो दौर था जब भारत ने कारगिल में पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ी और इस जंग में जीत हासिल की।
इस दौर में भाजपा के पास अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे बड़े नेता थे। लेकिन फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) देश के प्रधानमंत्री बने और इन चुनावों में बीजेपी ने 282 सीटों पर जीत हासिल की और इसी के साथ बीजेपी को इतिहास में पहली बार बहुमत मिला। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने 303 सीटें जीती।
42 साल में बीजेपी का विस्तार कैसे हुआ आप इन आंकड़ों की मदद से आसानी से समझ सकते हैं। साल 1981 में भाजपा के पास देश भर में सिर्फ 148 विधायक थे। लेकिन आज इनकी तादाद 1,296 है। साल 1984 में बीजेपी के सिर्फ दो सांसद थे लेकिन आज उसके पास 303 सांसद हैं। साल 1984 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 1 करोड़ 89 लाख वोट मिले थे लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे 22 करोड़ 89 लाख वोट मिले। आज बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है। बीजेपी के पास 17 करोड़ से ज्यादा कार्यकर्ता हैं। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में 91.4 मिलियन कार्यकर्ता हैं।
भाजपा को चुनावी मशीन (Election Machine) कहा जाता है। क्योंकि ये एक मशीन की तरह काम करती है। मशीन न थकती है और न छुट्टी लेती है। और ये बिना रुके काम करती है। इसी तरह भाजपा भी जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने के लिये मशीन की तरह काम करती है।
बीजेपी को अक्सर मध्यम वर्ग, व्यापारियों और अमीरों की पार्टी माना जाता है। लेकिन इस समय पूरे देश में, संसद में और विधानसभाओं में भी सबसे पिछड़े समुदाय के सांसद और विधायक भाजपा के हैं। और भाजपा जो योजनाएं लेकर आयी है, वो भी पिछड़ों और गरीबों से जुड़ी हैं। कई बार अमीर और व्यापारी वर्ग भी इससे नाराज हो जाते हैं।
वाम दलों के बाद भाजपा ही विचारधारा पर आधारित पार्टी है। जबकि बाकी पार्टियां परिवार की विचारधारा पर टिकी हुई हैं। बीजेपी मुफ्तखोरी की राजनीति के खिलाफ रहती है और यही इसे बाकी पार्टियों से अलग भी बनाती है।