एंटरटेनमेंट डेस्क (शशांक शेखर): “स्त्री” (Stri), “बजरंगी भाईजान” (Bajrangi Bhaijaan), और “लुक्का चुप्पी” (Lukka Chuppi) जैसी सुपरहिट फिल्मों से मशहूरियत हासिल करने वाले अदाकार अतुल श्रीवास्तव (Atul Shrivastava) आने वाली फिल्म “कबाड़-द कॉइन” (Kabaad-The Coin) में मराठी मोची की अदाकारी में नज़र आएँगे। इस फिल्म के निर्देशक वरदराज स्वामी हैं। वरदराज स्वामी (Varadraj Swami) और अतुल श्रीवास्तव एक दूसरे को पृथ्वी थिएटर के दिनों से जानते हैं और वरदराज कहते हैं कि, अतुल उस किरदार के लिए एकदम फिट थे, जो वो अपनी फिल्म में चाहते थे। वरदराज ने ये भी कहा कि- उनको पूरा विश्वास था कि, अतुल उस किरदार के साथ पूरा इंसाफ करेंगे।
अतुल श्रीवास्तव को भारतीय सिनेमा (Indian Cinema) के उम्दा कलाकारों में गिना जाता है। वरदराज ने ये भी कहा कि, “ मैं अतुल के पास गया और स्क्रिप्ट देने के बाद उनको फिल्म का सिनॉप्सिस समझाया, जिसको सुनते ही अतुल ने ये फिल्म करने के लिए हामी भर दी और धीरे-धीरे हम उनके किरदार के बारीकियों पर ध्यान देने लग गए” जब अतुल ने वरदराज से वर्कशॉप की बात सुनी तो उन्होंने कहा, “मैं खुद अपने तरीके से वर्कशॉप करूँगा और आपको मायूस नहीं होने दूंगा”
उसके बाद वरदराज ने एक करैक्टर स्केच तैयार किया और अतुल को दे दिया। अतुल जी ने बिना वरदराज को बताये अपनी वर्कशॉप शुरू कर दी। वरदराज इस बात से चिंतित थे क्यूंकि उनको लग रहा था कि, सेट पर जाकर अतुल अपने किरदार के साथ न्याय कर पाएँगे या नहीं। उन्हें ये लग रहा था कि अतुल सेट पर बिना तैयारी के पहुंच जाएंगे और उन्हें इस किरदार के बारे में समझाना बहुत मुश्किल होगा।
एक दिन अतुल श्रीवास्तव ने शहजाद को एक विडियो भेजा जिसमें वो एक मोची के साथ बैठे थे। जब वरदराज ने उन्हें कॉल किया तो उन्होंने कहा, “मैं ये इसलिए कर रहा हूँ, ताकि वर्कशॉप अच्छे तरीके से हो। मैं कई तरह के मोचियों के पास गया और उनसे काफी देर तक बातें की। एक मोची से तो मेरी बहुत अच्छी दोस्ती भी हो गयी थी, जिससे मैं रोज़ मिलता था और उस मोची की सोच की गहराई में जाने की कोशिश करता था”
वरदराज जी आगे बताते हैं कि, एक दिन अचानक अतुल श्रीवास्तव मेरे ऑफिस में आये और उन्होंने स्क्रिप्ट में से कुछ डायलॉग्स बोले और जब उन्होंने अतुल जी की डायलॉग डिलीवरी देखी तो वो दंग रह गए। वरदराज ये भी कहते हैं कि, अतुल ने अपने किरदार को बखूबी जिया और एक दिन जब सब लोग सेट पर शूटिंग कर रहे थे तो, अचानक एक महिला अपने जूते सिलवाने के लिए एक मोची के पास आयी। अतुल जी ने हालात का फायदा उठा कर फिल्म यूनिट को हैरान कर दिया। उन्होंने उस औरत के जूते लिए और उन्हें कुछ ही मिनटों में अच्छे से सिल दिया जिसको देखकर पूरी यूनिट अतुल की सहजता की तारीफ़ करने लगी। सबने खुश होकर अतुल जी की नेचुरल एक्टिंग के लिए तालियां बजाकर उन्हें बधाई दी।
अतुल श्रीवास्तव जी कहते हैं की, “ वरदराज बेहद संवेदनशील निर्माता हैं और मेरी सोच वरदराज की कहानी में एकदम फिट बैठ रही थी। वरदराज ने इस किरदार के लिए मुझ पर बहुत दबाव बनाया साथ ही मुझे ये लगने लगा कि, मैं इस किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाऊंगा क्यूंकि इससे पहले मैंने कभी मोची का किरदार नहीं निभाया था। मैं इस चरित्र को निभाने के लिए बहुत ही डरा हुआ था और यही वजह थी कि, मैंने तैयारी में अपनी जी जान लगा दी, बाद में वरदराज और शहजाद ने मुझे कुछ सुझाव दिए जिससे मुझे इस किरदार को जीने में काफी मदद मिली और इसके लिए मैं उन दोनों का बहुत ही शुक्रगुजार हूँ। इस किरदार को निभाकर मुझे बेहद सुकून मिला।
कबाड़- द किन इंसान की पैसा के प्रति रवैये को दर्शाती है, इसमें रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की भागदौड़ के बारे में बताया गया है। एक बहुत ही आम धारणा है की अगर किसी के पास पैसा है तो उसके ज़िन्दगी कामयाब है और अगर पैसा नहीं है तो उसकी ज़िन्दगी नाकामयाब है। इसमें पैसे और इंसान के बीच के नाते को दिखाया गया है। साथ ही इसमें ऐतिहासिक राम-सिया कॉइन के बारे में भी काफी जानकारी दी गयी है। इस मुद्दे पर बॉलीवुड में इससे पहले कोई भी फिल्म नहीं बनी है। उम्मीद है कि ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल करेगी और उनको पसंद आएगी।