एंटरटेनमेंट डेस्क (स्तुति महाजन): बंबई उच्च न्यायालय (Bombay HC) ने बीते मंगलवार (1 मार्च 2022) को पुलिस को निर्देश दिया कि वो मराठी फिल्म ‘नय वरण भट लोंचा कोन ने कोंचा।’ में नाबालिगों के कथित अश्लील दृश्यों से जुड़े मामले में फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर (Mahesh Manjrekar) और दो निर्माताओं के खिलाफ तीन सप्ताह के लिये गिरफ्तारी जैसी कोई “जबरदस्त कार्रवाई” न करे। पुलिस ने इस हफ़्ते की शुरुआत में मांजरेकर और अन्य लोगों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की थी।
बता दे कि मांजरेकर ने ही इस फिल्म का निर्देशन भी किया है और निर्माता नरेंद्र हीरावत और श्रेयांश हीरावत ने इस मामले को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय की ओर रुख किया साथ ही उन्होंने गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा की भी मांग की। याचिकाकर्ताओं के वकील शिरीष गुप्ते और आबाद पोंडा ने अदालत को बताया कि मांजरेकर और हीरावत जांच में सहयोग करने को तैयार हैं और जरूरत पड़ने पर पूछताछ के लिये पुलिस के सामने पेश होंगे।
जस्टिस पीबी वराले और जस्टिस एसपी तावड़े (Justice PB Varale and Justice SP Tawde) की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अंतरिम राहत देने के लिये मामला बनाया था। न्यायाधीशों ने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) से प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद फिल्म रिलीज हो चुकी है और कथित आपत्तिजनक दृश्य फिल्म का हिस्सा भी नहीं थे।
कोर्ट ने कहा कि, “दृश्य ट्रेलर का हिस्सा थे..उन्हें हटा दिया गया है।” उच्च न्यायालय ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि, “हम पुलिस को याचिकाकर्ताओं के खिलाफ तीन सप्ताह तक किसी तरह की कोई दंडात्मक कार्रवाई या कदम नहीं उठाने का निर्देश देते हैं।”