नई दिल्ली (यामिनी गजपति): भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता के.कविता ने आज (10 मार्च 2023) दिल्ली में महिला आरक्षण विधेयक (Women’s Reservation Bill) को पारित करने की मांग को लेकर एक दिवसीय भूख हड़ताल शुरू की, जिसमें राज्य विधानसभाओं और संसद में महिलाओं के लिये कुल सीटों में से एक-तिहाई सीटों के आरक्षण का प्रावधान है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (Chief Minister K Chandrasekhar Rao) की बेटी के.कविता के साथ तेलंगाना की मंत्री सबिता इंद्रा रेड्डी और सत्यवती राठौड़ (Sabita Indra Reddy and Satyavati Rathod) भी इस मुहिम में शामिल हैं।
बीआरएस ने कहा कि 12 राजनीतिक दलों ने अब तक इस आयोजन में हिस्सा लेने की पुष्टि की है। दिलचस्प ये है कि भारतीय नेशनल कांग्रेस (INC- Indian National Congress) ने इस मुहिम से दूरी बना रखी है। विरोध प्रदर्शन की शुरुआत करते हुए सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी (CPM General Secretary Sitaram Yechury) ने कहा कि-“वामपंथी दल बीआरएस के साथ खड़े रहेंगे और संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने तक इसके अपना समर्थन इसके साथ बनाये रखेगें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि उनकी सरकार संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिय इस आरक्षण को हकीकत बनायेगी।”
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने आगे कहा कि- “वो (पीएम मोदी) नौ साल से सत्ता में हैं। विधेयक अभी तक सदन में पेश भी नहीं किया गया। संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी निराशाजनक बना हुआ है। लोकसभा में सिर्फ 14 फीसदी सांसद महिलायें हैं। राज्यसभा में ये 11 प्रतिशत है। हम सरकार से इस सत्र में ही विधेयक पेश करने के लिये कहते हैं।”
दूसरी ओर अपने संबोधन में के.कविता ने कहा कि, “अगर भारत को दुनिया के अन्य देशों के बराबर विकास करने की आवश्यकता है तो महिलाओं को राजनीति में अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। इसलिये महिला आरक्षण बिल और भी अहम हो जाता है। भाजपा के पास संसद में पूर्ण बहुमत है और इसलिये उसके पास विधेयक पारित करने का ऐतिहासिक मौका है।”
अपना पक्ष रखते हुए बीआरएस ने कहा कि- 12 दलों के नेताओं ने दिन भर के विरोध में हिस्सा के लिये रज़ामंदी ज़ाहिर की है, जिसमें आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, अकाली दल (Akali Dal) के नरेश गुजराल, टीएमसी से सुष्मिता देव, जद (यू) के केसी त्यागी, समाजवादी पार्टी की पूजा शुक्ला और रालोद (RLD) के श्याम रजक खासतौर से शामिल है।
बता दे कि विपक्षी पार्टियों की ओर से एकता का प्रदर्शन तब किया जा रहा है, जब के.कविता को आगामी शनिवार (11 मार्च 2023) को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश होना हैं। ईडी (ED) ने शुरू में दिल्ली शराब नीति मामले (Delhi Liquor Policy Case) में कविता को 9 मार्च को अपना बयान दर्ज करने के लिये बुलाया था। हालांकि बीआरएस नेता ने ये दोहराते हुए कहा कि वो जांच में पूरा सहयोग करेंगी, उन्होंने कहा कि वो पूर्वव्यस्तताओं के कारण 11 मार्च को ही पेश हो पायेगी।
कविता ने ईडी के समन को राजनीतिक उछलकूद और राजनीतिक उत्पीड़न करार दिया है। उन्होनें इस मुद्दे पर कहा कि- “जांच के नाम पर गंदी राजनीति की जा रही है। मैंने कई बार दोहराया है कि मेरा शराब मामले या जांच से कोई लेना-देना नहीं है।”
गौरतलब है कि बीते 2 मार्च को कविता ने ऐलान किया था कि वो संसद में महिला आरक्षण विधेयक को पेश करने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण धरना और भूख हड़ताल करेंगी। उन्होंने अपने एनजीओ भारत जागृति के तत्वावधान में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिये राजनीतिक दलों और महिला संगठनों के प्रतिनिधियों को न्यौता दिया था।
कविता ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक की अहमियत को हर जगह मंजूर किया जा रहा है। जब महिलायें नेतृत्व की भूमिका में आती हैं तो लोकतंत्र की बेहतर सेवा होती है। जब भी महिलाओं को नेतृत्व का मौका मिला है, उन्होंने हमेशा खुद को साबित किया है। 1992 में 72वें संवैधानिक संशोधन ने स्थानीय निकायों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया और 1993 में 73वें संशोधन ने शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया। फिर भी संसद और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत प्रतिनिधित्व की मांग करने वाला महिला आरक्षण विधेयक 1996 में पहली बार पेश किये जाने के बाद भी आज तक 27 सालों से लंबित पड़ा हुआ है।