BS Yediyurappa resigns: बीएस येदियुरप्पा ने दिया इस्तीफा, लिंगायत समुदाय में बैठकों का दौर जारी

न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): महीनों की अटकलों को खत्म करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (CM BS Yediyurappa) ने आज (26 जुलाई 2021) अपने पद से इस्तीफे का देने का ऐलान कर दिया। उन्होनें ये ऐलान कर्नाटक में भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर दिया, जब मौजूदा सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश किया जा रहा था। येदियुरप्पा ने इस मौके पर कहा कि, “मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है। मैं दोपहर के भोजन के बाद राज्यपाल से मिलूंगा।”

इस बीच प्रमुख पद के लिये कई नेताओं के नाम चर्चा में हैं। गौरतलब है कि पंचमासली लिंगायत समुदाय (Panchmasali Lingayat Community) कई महीनों से अपने मुख्यमंत्री की मांग कर रहा है। बसनगौड़ा रामनगौड़ा पाटिल यतनाल, अरविंद बेलाड और मुरुगेश निरानी समेत समुदाय के कई भाजपा नेता इस दौड़ में आगे चल रहे है। इस दौड़ में कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई का भी नाम खासतौर से शामिल है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा और भाजपा महासचिव सीटी रवि भी अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं, अगर पार्टी आलाकमान गौड़ा समुदाय के लोगों को प्राथमिकता देता है तो। इसके अलावा आर. अशोक और सीएन अश्वत्नारायण भी समुदाय के अन्य लोकप्रिय लोगों मे शुमार हैं। येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री के तौर पर बने रहने के लिए बेंगलुरु और कर्नाटक समेत कई जगहों पर विभिन्न मठों (Various Monasteries) में लगातार सम्मेलन और बैठकों को दौर जारी रही हैं।

बीते रविवार को विभिन्न लिंगायत मठों के संतों ने बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में एक सम्मेलन आयोजित किया और येदियुरप्पा को अपना समर्थन दिया। इससे पहले गुरुवार को मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए साफ किया कि आखिरी फैसला भाजपा आलाकमान द्वारा लिया जायेगा। मैं उनके द्वारा दिये गये सुझावों का पालन करूंगा और मुझे अगले मुख्यमंत्री के बारे में कोई चिंता नहीं है, चाहे वो दलित समुदाय (Dalit community) से हों या किसी अन्य समुदाय से। मैं दिल से फैसले को स्वीकारूंगा

पिछले महीने भाजपा के कुछ विधायकों ने मांग की थी कि, येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए। राज्य के पर्यटन मंत्री सीपी योगेश्वर ने अपने एक बयान में कहा था कि मुख्यमंत्री के बजाय उनके बेटे कर्नाटक के मंत्रालयों पर अपनी पैठ बनाये हुए है और सरकार के हर फैसले में अड़ंगा डाल रहे है।

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