नई दिल्ली (शाश्वत अहीर): बहुजन समाज पार्टी (BSP- Bahujan samaj party) ने आज (21 जुलाई 2023) विवादास्पद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) संशोधन विधेयक पर चर्चा और मतदान से दूर रहने का फैसला किया, अगर इसे संसद के चल रहे मानसून सत्र के दौरान लाया जाता है तो बसपा इससे दूरी बरतेगी। ये कदम कदम साबित होगा क्योंकि भाजपा के अगुवाई वाले राजग को राज्यसभा में संख्या जुटाने में कठिनाई हो रही है।
विपक्ष को हैरत में डालते हुए तेलंगाना (Telangana) की सत्तारूढ़ क्षेत्रीय पार्टी, भारत राष्ट्र समिति (BRS- Bharat Rashtra Samithi) जो कि विपक्षी एकता मंच का हिस्सा नहीं थी ने सदन के आधिकारिक कामकाज में विवादास्पद दिल्ली अध्यादेश को बदलने के लिये विधेयक को शामिल करने के विरोध में राज्यसभा की बिजनेस एडवायजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक से अन्य विपक्षी सांसदों समेत वॉकआउट करने में शामिल रही।
सूत्रों से छनकर आ रही जानकारी के मुताबिक “बसपा पार्टी ने संसद के दोनों सदनों में विधेयक की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है। अगर ऐसा हुआ तो बसपा मतदान से भी दूर रहेगी।”
बता दे कि जहां लोकसभा में बसपा के नौ सदस्य हैं, वहीं उच्च सदन में उसका केवल एक सांसद है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. और भाजपा के नेतृत्व वाला NDA पहले से ही दो खेमों में बंटे है, दो अन्य तथाकथित तटस्थ दल आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी और ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजद ने अभी तक इस पर अपना रुख साफ नहीं किया है। विपक्षी नेताओं को उम्मीद है कि BRS और BAP की ओर से अपनाया गया रुख इन दोनों दलों को भी विधेयक के खिलाफ रुख अपनाने के लिये राजी कर सकता है।
विपक्षी दल भाजपा के गलत पक्ष को उजागर न करने की सावधानी बरतते हुए दूर रहेंगे, ये एक ऐसा कदम है, जिससे विपक्षी दलों को हौंसला मिलने की उम्मीद है, जिन्हें आम आदमी पार्टी ने उस विधेयक को रोकने के लिये लामबंद किया है, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) विधेयक, 2023 अध्यादेश मानसून सत्र में संसद पटल पर आने की उम्मीद है। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने इस अध्यादेश को निर्वाचित सरकार को दरकिनार करने और सिविल सेवकों का नियंत्रण उपराज्यपाल को सौंपने वाली कवायद बताते हुए इसे संघवाद के सिद्धांत का उल्लंघन बताया।
अब जबकि अपने 303 सांसदों के साथ भाजपा को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल है और उसे सदन में एनसीटी विधेयक पारित करने में कोई परेशानी नहीं होगी, राज्यसभा में मौजूदा हालातों में 238 सांसद हैं, अगर गैर-भाजपा दल एक साथ आते हैं तो ये कठिन हो सकता है। भाजपा और सहयोगी दलों के पास कुल मिलाकर 111 सांसद हैं, जिनमें नामांकित सदस्य भी शामिल हैं। बीजेडी, वाईएसआरसीपी (YSRCP), बीएसपी, टीडीपी और जेडी (एस) को छोड़कर विपक्ष सिर्फ 106 सदस्यों के साथ थोड़ा सा पीछे है।