न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI- Popular Front of India) की छात्र शाखा कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने संगठन पर लगे प्रतिबंध को ‘अलोकतांत्रिक और संविधान विरोधी’ करार दिया और कहा कि वो सरकार के इस कदम को कोर्ट में चुनौती देगा। हालांकि सीएफआई (CFI- Campus Front of India) ने कहा कि कथित बैन कानून के तहत सभी कवायदों को रोक रहा है और संगठन से जुड़े छात्रों को संगठन के नाम पर कोई कार्यक्रम या गतिविधि नहीं करने दिया जा रहा है।
गृह मंत्रालय ने मंगलवार (27 सितम्बर 2022) देर रात अधिसूचना जारी कर पीएफआई और उसके सहयोगियों को तत्काल प्रभाव से एक गैरकानूनी संघ का करार दे दिया। पीएफआई से संचालित हो रहे सहयोगी संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन पर भी बैन गया है। ये सभी केरल (Kerala) से संचालित हो रहे थे।
प्रतिबंध के खिलाफ बयान जारी करते हुए सीएफआई ने बुधवार को ट्वीट किया, “कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया लगाये बैन का विरोध करता है। ये प्रतिबंध अलोकतांत्रिक और संविधान विरोधी है, इसे अदालत में चुनौती दी जायेगी। संचालित की गयी सभी गतिविधिया कानूनी दायरे में ही रहकर काम कर रही थी।”
कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने आगे दावा करते हुए कहा कि- “धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक भावना के साथ सामाजिक रूप से चिंतित और जिम्मेदार युवाओं को तैयार करने के लिये हम कार्यरत है। इस काम में हम काफी हद तक कामयाब भी रहे है। कई शिक्षित युवा जो संगठन का हिस्सा थे, अब सामाजिक गतिविधियों के कई क्षेत्रों में सक्रिय हैं। सीएफआई ने संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाये रखा है और हमने कभी भी कानून के खिलाफ गतिविधियों को बढ़ावा नहीं दिया है।”
सीएफआई ने कहा कि- बतौर संगठन हम गृहमंत्रालय (Home Ministry) के फरमान को मंजूर करते है, जिसके तहत हम भारत में संगठन की तमाम गतिविधियों पर रोक लगा रहे है। पीएफआई और हम पर लगाये गये बैन बेबुनियादी और मनगढ़ंत है, हम इसे खारिज करते है। कानूनी जानकारों के साथ चर्चा करने के बाद इसे कोर्ट में चुनौती दी जायेगी।’
संगठन ने कहा कि वो किसी भी कार्यक्रम, गतिविधि, सोशल मीडिया पोस्ट और कमेंट के लिये संगठन के नाम या बैनर का इस्तेमाल करने के लिये जिम्मेदार नहीं है।
बता दे कि गृहमंत्रालय की जारी अधिसूचना में इस बात का साफ जिक्र किया गया है कि पीएफआई और उसके सहयोगी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लगे हुए है, जो कि देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिये बड़ा खतरा हैं। संगठन की कवायदें सार्वजनिक शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को भंग कर देश में उग्रवाद को बढ़ावा देने की ताकत रखती है।