नई दिल्ली (यामिनी गजपति): Working Hours: आज संसद में पेश किये गये कुछ रुके हुए बिलों में से एक दिलचस्प बिल राइट टू डिस्कनेक्ट भी शामिल है। इस बिल में नॉन ड्यूटी आवर्स (Non Duty Hours) में एम्प्लॉयी को एम्प्लॉयर के कॉल, टेक्स्ट या ईमेल का जवाब नहीं देने का अधिकार मिलेगा। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले द्वारा लोकसभा में पहली बार डिस्कनेक्ट करने का अधिकार 2019 में पेश किया गया था। पेशेवर जीवन की कभी न खत्म होने वाली मांगों से निपटने के प्रयास तहत राइट टू डिस्कनेक्ट (Right To Disconnect) का अधिकार इस विधेयक से मिलेगा।
ये विधेयक कर्मचारियों को ये अधिकार देता है कि वो ऑफिस टाइम के बाहर एम्प्लॉयर की बात की ज़वाब ना दे। विधेयक का मकसद तनाव को कम करना और बेहतर वर्क लाइफ बैलेंस (Work Life Balance) के लिये कोशिश करना है। बिल कंपनियों को आउट-ऑफ-वर्क मांगों की डिटेल देने के लिये भी बाध्य करता है।
ये 10 से ज़्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियों पर लागू होगा। इन नियमों को मजबूत ढंग लागू करने के लिए एम्प्लॉयी वेलफेयर कमेटी (Employee Welfare Committee) गठन करना होगा। जो एम्प्लॉयी वेलफेयर कमेटी बनायी जायेगी उसमें कंपनी की वर्क फोर्स के प्रतिनिधियों को शामिल करना होगा। दस से ज़्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियां समय-समय पर अपने कर्मचारियों के साथ खास शर्तों पर बातचीत करेंगी, अपना चार्टर पब्लिश करेंगी।
बिल के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी निर्धारित कार्य घंटों के बाद नियोक्ता को जवाब नहीं देने का विकल्प चुनता है तो कोई खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई (Disciplinary Action) नहीं की जा सकती है। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार अगर कर्मचारी सहमति के साथ वर्किंग आवर्स (Working Hours) से ज़्यादा काम करता है तो वो ओवरटाइम का हकदार होगा।
विधेयक की शर्तों का पालन न करने पर कुल कर्मचारियों के वेतन का एक फीसदी बतौर जुर्माना देना होगा। नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को डिजिटल डिस्ट्रक्शन (Digital Destruction) से मुक्ति देने के लिये एम्प्लॉयी कांउसलिंग और डिजिटल डिटॉक्स केंद्र (Digital Detox Center) भी बनाने होगें।
विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि हर समय जुड़े रहना दुनिया भर के वर्करों पर भारी पड़ रहा है। वर्जिनिया टेक के विलियम बेकर वर्करों की भलाई में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर काम कर रहे हैं। उन्होंने पाया कि भले ही कर्मचारी कार्यालय समय के बाद सक्रिय रूप से ईमेल की जांच नहीं कर रहे हों, लेकिन उपलब्ध होने की उम्मीद से नुकसान हो सकता है।
विलियम बेकर का कहना है कि इस तरह की 'हमेशा चालू' कार्य संस्कृति श्रमिकों में चिंता पैदा करती है। साल 2016 में एक अध्ययन में पाया गया कि हमेशा कॉल पर रहने का संबंध शांति, मनोदशा और ऊर्जा के स्तर में कमी से है।
गैर-काम के घंटे जिसके दौरान कर्मचारियों से प्रतिक्रिया की उम्मीद की जाती है, कर्मचारी व्यवहार को बाधित करते हैं और उन्हें ख़ाली समय नहीं माना जा सकता है। उत्तरी इलिनोइस विश्वविद्यालय (Northern Illinois University) के शोधकर्ताओं ने पाया कि रात 9 बजे के बाद काम से संबंधित ईमेल का जवाब देने वाले श्रमिकों की नींद की गुणवत्ता खराब थी।