न्यूज़ डेस्क (स्तुति महाजन): कोरोना वायरस (Coronavirus) की कारगर दवा बनाने का दावा करने वाले बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) के प्रबंध संचालक आचार्य बालकृष्ण (Balkrishna) के खिलाफ बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर में न्यायिक परिवाद दर्ज करवाया गया है। बीते मंगलवार पतंजलि शोध संस्थान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कोरोनिल दवा को लॉन्च किया था। बिहार के अलावा जयपुर में भी बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण सहित पंतजलि आयुर्वेद संस्थान के प्रबंधन से जुड़े कई लोगों को केस में नामजद किया गया है।
अशोक गहलोत (Ashok Gahlot) सरकार पंतजलि शोध संस्थान के खिल़ाफ दवा लॉन्च करने और क्लीनिकल ट्रॉयल से जुड़ी तयशुदा सरकारी नियमावली का पालन ना करने के खिल़ाफ मामला दर्ज करेगी। राजस्थान सरकार के मुताबिक- बाबा रामदेव दवा के नाम पर आम जनता को बरगला रहे है। आयुर्वेदिक फॉम्यूलेशन से बनी दवा की निर्माण प्रक्रिया आयुष मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना का पालन नहीं करती है। पतंजलि शोध संस्थान को इसके लिए पहले आईसीएमआर और राजस्थान सरकार से आधिकारिक मंजूरी लेनी चाहिए थी। बिना सरकारी अनुमति और तयशुदा पैमानों का उल्लंघन करते हुए क्लीनिकल ट्रॉयल किया गया। जो कि पूरी तरह गैरकानूनी है। मामले पर जो कानूनी कार्रवाई बन सकती है, राजस्थान सरकार उन सभी विकल्पों पर गौर करेगी।
जयपुर (Jaipur) गांधी नगर निवासी डॉक्टर संजीव गुप्ता ने मामले पर शिकायत दर्ज करवायी है। उन्होनें अपनी तहरीर में बाबा रामदेव, आचार्य बाल कृष्ण, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज (National Institute of Medical Sciences) के चेयरमैन डॉ बलबीर सिंह तोमर को नामजद किया है। शिकायत में डॉक्टर संजीव गुप्ता ने बताया कि, कोरोनिल (Coronil) दवा बनाने के लिए 280 वायरस संक्रमितों को क्लीनिकल ट्रायल में शामिल किया गया। इसके बाद 100 मरीज़ों पर दवा के नमूने परखे गये। पहले तीनों दिनों को भीतर 69 मरीज़ ठीक हो गये है, अगले सात दिनों में सभी मरीज़ स्वस्थ पाये गये। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान किसी भी वायरस संक्रमित मरीज की मौत नहीं हुई। धोखाधड़ी करने की नीयत से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दवा के बारे में बेबुनियादी दावे किये गये। फिलहाल राजस्थान पुलिस शिकायत की जांच कर रही है। जांच के बाद ही प्राथमिकी दर्ज की जायेगी।
गौरतलब है कि, कोरोनिल की लॉन्चिंग के पहले दिन ही स्वत: संज्ञान लेते हुए आयुष मंत्रालय (Ayush Ministry) ने दवा के प्रचार-प्रसार और बिक्री पर रोक लगा दी थी। मंत्रालय के मुताबिक दवा के बारे में पुख़्ता तथ्य सामने आने के बाद ही इसे बाज़ार में उतरने की इज़ाजत दी जायेगी।