न्यूज डेस्क (देवागंना प्रजापति): एक बड़े ब्रांड के खिलाफ बड़े कदम के तौर पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने लग्जरी कार बनाने वाली और एयरोस्पेस कंपनी रोल्स रॉयस के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें फर्म के खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोप लगाये गये हैं।
ब्रिटिश लग्जरी कार ब्रांड रोल्स रॉयस (British luxury Car Brand Rolls-Royce) के अलावा कंपनी की भारतीय शाखा के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों, लंदन के हथियार एजेंट सुधीर चौधरी और उनके बेटे भानु, ब्रिटिश एयरोस्पेस सिस्टम्स, और रक्षा मंत्रालय से जुड़े कुछ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के ये आरोप दायर किये गये हैं।
भारतीय वायु सेना और नौसेना (Indian Air Force and Navy) के लिये हॉक 115 उन्नत जेट ट्रेनर विमान की खरीद के लिये अहम रक्षा हवाई सौदे के मामले में सीबीआई ने ये केस दायर किया है। ये रक्षा सौदा साल 2004 में तय हुआ था, लेकिन अब खरीद में गहरे भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है।
इस वज़ह से CBI ने दर्ज की Rolls Royce के खिलाफ FIR
रोल्स रॉयस यूनाइटेड किंगडम का लक्ज़री कार ब्रांड है और अब इस फर्म ने एयरोस्पेस कारोबार में अपनी पहुंच काफी बढ़ा दी है। रोल्स रॉयस ने हॉक 115 जेट ट्रेनर की खरीद के संबंध में रक्षा हवाई सौदे में अहम भूमिका निभाई और अब सीबीआई की ओर से इस मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जा रहे हैं।
सीबीआई ने टिम जोन्स, निदेशक रोल्स रॉयस इंडिया, कथित हथियार डीलर सुधीर चौधरी और उनके बेटे भानु चौधरी, रोल्स रॉयस पीएलसी और ब्रिटिश एयरोस्पेस सिस्टम्स के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया है। साथ ही दिसंबर 2016 में दर्ज छह साल पुरानी शुरूआती जांच पूरी करने के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधान के तहत मामले को दर्ज किया गया है।
लग्जरी कार कंपनी के खिलाफ अपने बड़े कदम में सीबीआई ने एफआईआर (FIR) में आरोप लगाया है कि साल 2003-12 के दौरान इन आरोपियों ने अज्ञात सरकारी कर्मचारियों के साथ साजिश रची, जिन्होंने भारी रिश्वत और कमीशन के बदले अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग किया। विमान खरीद को मंजूरी देने के लिये रोल्स रॉयस ने इन लोगों को भारी रिश्वत खिलायी।”
सीबीआई की एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने बिचौलियों को भुगतान किया, भले ही समझौतों और सौदे से जुड़े दस्तावेजों ने इस तरह के भुगतानों पर रोक लगा दी। इस सौदे में गैरकानूनी तौर पर रोल्स रॉयस को निर्माता के लाइसेंस शुल्क के तौर पर 1900 करोड़ रुपये से ज्यादा के भुगतान को भी मंजूरी दी गयी।