CDS Chopper Crash: सामने आयी इंक्वायरी कमेटी की रिपोर्ट, भारतीय वायुसेना ने रक्षामंत्री को दी ब्रीफ प्रेजेंटेशन

न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): CDS Chopper Crash: भारतीय वायु सेना (IAF) ने 8 दिसंबर को Mi-17 हेलिकॉप्टर दुर्घटना पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश की। बताया जा रहा है कि इस जांच में सेना के तीनों अंगों के अधिकारी शामिल थे। इस हवाई में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (Chief of Defence Staff General Bipin Rawat), उनकी पत्नी समेत 12 अन्य सैन्य कर्मियों की मौत हो गयी थी।

भारतीय वायुसेना ने सीडीएस हेलिकॉप्टर दुर्घटना जांच रिपोर्ट (Helicopter Crash Investigation Report) पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) को प्रेजेंटेशन दी गयी। ये विस्तृत प्रेजेंटेशन करीब 45 मिनट तक चली। जांच रिपोर्ट में दुर्घटना के कारणों पर निष्कर्ष दिये गये हैं और वीआईपी उड़ान के लिये भविष्य के हेलिकॉप्टर ऑप्रेशंस (Helicopter Operations) के लिये सिफारिशें की गयी हैं।

भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी, रक्षा सचिव अजय कुमार (Defence Secretary Ajay Kumar) और जांच समिति के प्रमुख एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह (Air Marshal Manvendra Singh) रक्षा मंत्री को रिपोर्ट पेश करने के लिये मौके पर मौजूद थे। जांच समिति ने अपने निष्कर्षों में रक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों को ले जाने वाले हेलिकॉप्टरों के संचालन के दौरान मानक संचालन प्रक्रियाओं (Standard Operating Procedures) में बदलाव करने के लिये कुछ सिफारिशें भी की हैं।

दुर्घटना के विवरण पर जांच समिति ने कहा कि Mi-17V5 पहाड़ियों में एक रेलवे लाइन को फॉलो कर रहा था, ठीक उसी दौरान ये घने बादल के बीच फंस गया, जो कि एकाएक अचानक उभरा। हेलिकॉप्टर कम ऊंचाई पर उड़ रहा था और इलाके को जानने के बाद, ये सामने आया कि चालक दल ने बादलों के घेराव से निकलने का फैसला किया और इसी दौरान हेलीकॉप्टर एक चट्टान से टकरा गया।

चूंकि हेलीकॉप्टर में सवार पूरा दल ‘मास्टर ग्रीन’ लेवल का था, उन्हें विश्वास था कि वो हालातों से बाहर निकलने में कामयाब होंगे, इसलिये आपात स्थिति में सुझाव लेने के लिये ग्राउंड स्टेशनों पर कोई एसओएस कॉल (SOS call) नहीं किया गया था। सेना के तीनों अंगों में ट्रांसपोर्ट प्लेन और हेलीकॉप्टर बेड़े में सर्वश्रेष्ठ पायलटों को ‘मास्टर ग्रीन’ लेवल दिया जाता है क्योंकि वही हैं जो कम विजिबिलटी (Low Visibility) में भी लैडिंग कर सकते हैं या टेकऑप कर सकते हैं।

इसके अलावा जांच समिति द्वारा की गयी सिफारिशों में से एक ये है कि भविष्य में चालक दल में मास्टर ग्रीन और अन्य श्रेणी के पायलटों का कॉम्बिनेशन तैनात करना चाहिये ताकि अगर जरूरत हो तो वे जमीन और स्टेशनों से मदद ले सकें। एयर मार्शल एम सिंह की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने कई अन्य सिफारिशें भी की हैं।

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