नई दिल्ली (शौर्य यादव): केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशकों के कार्यकाल को मौजूदा दो सालों से अधिकतम पांच वर्ष तक बढ़ाने के लिये केंद्र सरकार आज (14 दिसंबर 2021) राज्यसभा में दो विधेयकों को पेश करने वाली है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह आज ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक 2021’ और ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) विधेयक, 2021’ को उच्च सदन में विचार और पारित करने के लिये पेश करेंगे।
इन पर विपक्षी सदस्यों द्वारा पेश किये गये विभिन्न संशोधनों को सदन द्वारा खारिज किए जाने के बाद दोनों विधेयकों को 9 दिसंबर को लोकसभा में ध्वनिमत से पारित किया गया था। ये बिल पिछले महीने जारी किये गये दो अध्यादेशों की जगह लेगें।
कई राजनीतिक और साथ ही सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस कदम का विरोध किया, जिसे उन्होंने दो प्रमुख जांच एजेंसियों की आजादी को खत्म करने की कवायद करार दिया। उनके मुताबिक ये कदम इन संस्थानों की स्वायत्तता को पूरी तरह से कमजोर कर देगा। सत्तारूढ़ दल भाजपा ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये इसे जरूरी बताते हुए इसका बचाव किया।
'दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) विधेयक, 2021' दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 में संशोधन की सिफारिश करता है। ये विधेयक दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) अध्यादेश, 2021 की जगह भी लेता है, जिसे 14 नवंबर को जारी किया गया था।
ये अध्यादेश डीएसपीई अधिनियम (DSPE Act) में खास प्रावधान शामिल करता है, जिसके मुताबिक- जिस अवधि के लिये निदेशक अपनी शुरूआती ज्वॉइनिंग पर पोस्ट होल्ड करता है वो सार्वजनिक हित में धारा 4 ए की उप-धारा (1) के तहत समिति की सिफारिश पर हो सकता है और लिखित रूप में दर्ज किये जाने वाले कारणों के लिये एक बार में एक साल तक के लिये बढ़ाया जा सकता है। बशर्ते कि शुरूआती ज्वॉइनिंग में उल्लिखित अवधि समेत कुल मिलाकर पांच साल की अवधि पूरी होने के बाद कोई एक्सटेंशन नहीं दी जायेगी।
सीधे शब्दों में कहे तो ये अध्यादेश सीबीआई प्रमुख के कार्यकाल को वर्तमान दो सालों से बढ़ाकर अधिकतम पांच वर्ष करने का प्रयास करता है। केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम 2003 में संशोधन करने के लिये 'केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021' लाया जा रहा है। 14 नवंबर को केंद्र ने इसी मामले पर अध्यादेश पेश किया था, जिसे राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी थी। इस प्रस्तावित कानून के जरिये केंद्र प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने का प्रयास करता है। फिलहाल ईडी प्रमुख को दो साल तक की अवधि के लिये नियुक्त किया जाता है।