न्यूज डेस्क (यर्थाथ गोस्वामी): चैत्र/वांसतीय नवरात्र (Chaitra Navratri 2021) शुरू हो चुके है। ये समय महा आद्या शक्ति जगत जननी परांबा की उपासना के लिये अत्यंत पुनीत माना जाता है। महामाई दसों महाविद्याओं को रूप धारण करके सृष्टि में संतुलन स्थापित करती है। अन्नपूर्णा के रूप भरण-पोषण करती है। महामायी शीतला देवी के भाव में मन और दैहिक शीतलता प्रदान करती है। विंध्यवासिनी अष्टभुजी देवी (Vindhyavasini Ashtabhuji Devi) के रूप में भक्तों के बाहुबल में वृद्धि करती है। शारदा के रूप में श्रद्धा और भक्ति का संचार करती है। कैला देवी के रूप में वीरता और शौर्य का वरदान देती है। निकुंभिला देवी (Nikumbhila Devi) के रूप में वांछित कामनाओं की पूर्ति करती है। तनोट माता के रूप में अपने बच्चों की शत्रुओं से रक्षा करती है।
शांकुभरी रूप में वनस्पतियों को संरक्षित करती है। भैरवी के रूप में शत्रुनाश करती है। पीतांबरा स्वरूप में अनिष्ट संकटों का निवारण करती है। कामाख्या के रूप में साधकों को सिद्धियां देती है। करणी माता के रूप में भक्तों को आधि-व्याधि के संकट से मुक्ति दिलाती है। 5 साल से छोटी बालिकायें महामाई परांबा का साक्षात् रूप मानी जाती है। ऐसे में चैत्र/वांसतीय और शरद नवरात्रों में कन्या पूजन का विशेष वैदिक महात्मय होता है। इस बार चैत्र/वांसतीय नवरात्र में दो शुभ मुहूर्त कन्या पूजन के लिये बन रहा है।
विशेष ये है कि इस चैत्र माह के साथ नव विक्रमी संवत्सर 2078 का भी आगमन हुआ है। जगत जननी महामाई भगवती कई पावन दैवीय ज्योतिषीय संयोगों के साथ अश्व सवार होकर भक्तों के अंतर्मन में विचरण करेगी। इस नव विक्रमी संवत्सर के अधिपति मंगल होगें।
चैत्र/वांसतीय नवरात्र 2021 कन्या पूजन का मुहूर्त
आगामी सोमवार 19 अप्रैल 2021 को पुनीत सप्तम तिथि अर्धरात्रि 12 बजकर 01 मिनट तक ही प्रभावी है। इसके बाद अष्टमी तिथि लग जायेगी। इसी क्रम में नवमी तिथि 21 अप्रैल को है। नवमी तिथि के योग अर्धरात्रि 12 बजकर 35 मिनट पर प्रभावी हो जायेगें। अतएव अष्टमी और नवमी तिथि दोनों ही दिन कन्या पूजन कर व्रत पारण किया जा सकता है। दोनों ही दिन समान रूप से फलदायी है। नवमी के दिन शक्तिपूजन करने के बाद रामलला की अराधना शुरू की जा सकती है।