न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 2G घोटाले पर अपनी पहली चार्जशीट में पूर्व केंद्रीय मंत्री और द्रमुक नेता ए.राजा (Former Union Minister and DMK leader A. Raja) पर घोटाले के सिलसिले में साजिश का ‘मास्टर माइंड’ होने का आरोप लगाया। कॉरपोरेट कंपनियों – रिलायंस टेलीकॉम, स्वान टेलीकॉम और यूनिटेक वायरलेस (Swan Telecom and Unitech Wireless) के साथ आठ लोगों को मामले में सह-आरोपी बनाया गया। दायर की गयी चार्जशीट में पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, यूनिटेक प्रमुख संजय चंद्रा, डीबी रियल्टी बॉस और इसके एमडी विनोद गोयनका (Vinod Goenka) और स्वान टेलीकॉम के एमडी शाहिद बलवा (MD Shahid Balwa) के नाम हैं।
2जी घोटाला साल 2008 का मामला है, जब चुनिंदा कंपनियों को टेलीकम्युनिकेशन बैंडविड्थ बिक्री (Telecommunication Bandwidth Sales) में भष्ट्राचार सामने आया था, छानबीन में सामने आया कि इन खास टेलीकम्युनिकेशन बैंडविड्थ को असल बाजार मूल्य से कम करके आंका गया और बेहद कम दामों पर बेचा गया। इस कथित बिक्री का दावा तब हुआ जब द्रमुक नेता ए.राजा दूरसंचार और आईटी मंत्रालय (Ministry of Telecom and IT) की अगुवाई कर रहे थे। इसे अब तक के भारतीय इतिहास में सबसे बड़ा राजनीतिक भ्रष्टाचार का मामला माना गया, इस घोटाले की रकम लगभग 1.76 लाख करोड़ रुपये है।
बता दे कि 21 दिसंबर 2017 को दिल्ली की एक अदालत ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन (2G Spectrum Allocation) मामले में राजा और द्रमुक की राज्यसभा सदस्य कनिमोझी (Kanimozhi) समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। मामले पर विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी (Special Judge OP Saini) ने कहा कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (CBI and Enforcement Directorate) मामले में नामजद 33 लोगों के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिये पुख्ता सबूत मुहैया करने में नाकाम रहा हैं और अदालत को ये कहने में कोई हिचक नहीं है कि अभियोजन किसी भी दोषी खिलाफ किसी भी आरोप को साबित करने में बुरी तरह नाकाम रहा है।
अपने 1,552 पन्नों के फैसले में न्यायाधीश ने कहा कि ये असल में दूरसंचार विभाग (डीओटी) की कार्यशैली से जुड़ी खामियों से पैदा हुआ भ्रम था, जिसे कथित तौर पर घोटाले का नाम दिया गया। ऐसे में साफ देखा जा सकता है कि ये कोई घोटाला नहीं है। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष (Prosecutors) की “अच्छी तरह से कोरियोग्राफ की गयी चार्जशीट” में कई तथ्य गलत पाये गये। इन्हीं की बुनियाद पर सभी आरोपी बरी हो गये।
अदालत ने राजा और कनिमोझी समेत 19 आरोपियों को संबंधित धनशोधन मामले में भी बरी कर दिया, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय ने की थी।