न्यूज डेस्क (निकुंजा वत्स): कर्नाटक (Karnataka) अभी भी प्री-मॉनसून बारिश की वज़ह से गंभीर बाढ़ के संकट से जूझ रहा है, इसी बात के मद्देनज़र चिक्कमंगलुरु जिले (Chikkamagaluru District) में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है, यहां तक कि कोडागु (Kodagu) में आम लोगों को भूस्खलन के खतरों का भी सामना करना पड़ रहा है। कर्नाटक जून से मानसून की बारिश के लिए पूरी तरह से तैयार है, पिछले साल मानसून के कहर को देखते हुए अधिकारी हर तरह के हालातों के लिये पूरी तरह तैयार है।
चिक्कमगलुरु में 47 ग्राम पंचायतों की सीमा में आने वाले 77 गांवों की पहचान “डेंजर जोन” के तौर पर की गयी है। पूरे जिले में सावधानी बरतने के लिये हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है क्योंकि पिछले साल भारी नुकसान हुआ था। कोडागु जिला पिछले पांच सालों के दौरान जमीन खिसकने और बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। मदिकेरी तालुका (Madikeri Taluka) से 768 परिवारों के 2,681 लोगों को स्थानांतरित करने के बारे में जिला प्रशासन ने पहले ही सरकार को रिपोर्ट भेज दी है। प्रशासन ने आपातकालीन हालातों से निपटने के लिये 26 राहत कैंप बनाने का भी फैसला लिया है।
रिपोर्ट में सिफारिश की गयी है कि सोमवारपेट तालुक (Somwarpet Taluk) में 1,143 परिवारों से 4,162 लोगों को वहां से सुरक्षित निकाला जाना है और इन लोगों के लिये 30 राहत कैंप तैयार किये जाने हैं। ठीक इसी तरह 582 परिवारों के 2,049 लोगों को भी इलाका खाली करवाकर सुरक्षित निकाला जाना है और साथ ही विराजपेट तालुका (Virajpet Taluka) में 26 राहत कैंप खोले जाने हैं।
पिछले साल इस इलाके में तबाही मची थी। अधिकारियों ने पुष्टि करते हुए बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया दल (NDRF) की तैनाती कोडागु जिले (Kodagu District) में की जा रही है। मौजूदा हालातों में मध्य और उत्तर कर्नाटक भी बारिश के कहर का सामना कर रहा है। किसानों को भारी नुकसान की खबर है। प्रशासन युद्धस्तर पर तैयारी कर रहा है।
राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) ने हाल ही में कहा था कि सूबे में प्री-मानसून बारिश (अप्रैल से जून) की वज़ह से 52 लोगों की जान चली गयी है, साथ ही संपत्तियों को भी भारी नुकसान पहुंचा है, सीएम सिद्धारमैया ने अधिकारियों को तुरन्त आम लोगों को राहत पहुँचाने के निर्देश दिये थे।
फिलहाल इस प्री-मॉनसून बारिश से 20,000 हेक्टेयर में फसल के नुकसान और 814 घरों को नुकसान पहुँचने के अलावा कुल 331 पशुओं के मारे जाने की भी जानकारी मिल रही है।