लखनऊ (न.सं.): मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के निर्देशों पर उत्तर प्रदेश प्रशासन (Uttar Pradesh Administration) एक योजना के मसौदे (Draft) पर काम करने जा रहा है। अगर ये योजना प्रदेश भर में लागू हुई तो सूबे के लोगों को बच्चे पैदा करने और परिवार नियोजन (Family planning) में काफी संयम बरतना पड़ेगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बतौर सांसद भी देश की बढ़ती जनसंख्या और अंधाधुंध जनसंख्या विस्फोट पर पहले भी अपनी चिंता जाहिर कर चुके है। इसी के चलते उत्तर प्रदेश सरकार जनसंख्या नीति (Population policy) लेकर आना वाला है। टाइम्स ऑफ इंडिया (Times of India) में प्रकाशित खब़र के मुताबिक इस नीति का मसौदा कुछ इस तरह से है कि- यदि सूबे का कोई नागरिक दो से ज़्यादा बच्चे पैदा करता है तो उसे सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं (Government facilities) से वंचित (Deprived) किया जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह (Jai Pratap Singh) के मुताबिक- उत्तर प्रदेश शासन के तहत विशेषज्ञों का एक दल देश के अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या नीति की समीक्षा (Review) कर रहा है। इनमें से जो बेहतरीन होगी उनका चयन कर राज्य में लागू किया जाएगा। उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी आबादी वाला सूबा है। फिलहाल देश के अलग-अलग हिस्सों की जनसंख्या नीति के मॉडलों (Models of population policy) की समीक्षा की जा रही है। उत्तर प्रदेश में अन्तिम बार जनसंख्या नीति साल 2000 में संशोधित (Revised) की गयी थी।
इस टीम में जनसंख्या नीति के मॉडलों की समीक्षा करने वाले एक विशेषज्ञ ने कहा- उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत जनसंख्या नियन्त्रण (Population control) काफी कारगर ढ़ंग से काम कर रहा है। उत्तर भारत में मध्य प्रदेश और राजस्थान उत्तर प्रदेश की तुलना में भले ही छोटे हो, लेकिन उन्होनें इस दिशा में पहल की है। जैसे जिनके दो ज़्यादा बच्चे है, उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध (Ban on contesting elections) लगाया जाये। उन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public distribution system) से मिलने वाले राशन पर अतिरिक्त दाम लेना। लोक-कल्याणकारी राजकीय योजनाओं (Public welfare schemes Sponsored by state) के तहत मिलने वाले वित्तीय लाभों (Financial benefits) को बंद कर देना इत्यादि शामिल है।
गौरतलब है कि देश में कई ऐसे राज्य है, जहाँ पर राजकीय कर्मचारियों (State employees) के अगर दो से ज़्यादा बच्चे होते है तो, उनके वेतन में बच्चों को मिलने वाली ट्यूशन फीस (tuition fees) नहीं दी जाती है। हाल ही में आसाम सरकार ने भी कुछ ऐसा ही कदम उठाया है।