China America Relation: ना रंजिशें और ना रज़ामंदी के बीच झूलते चीन और अमेरिकी संबंध

China America Relation: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने साल के आखिर से पहले एक वर्चुअल बैठक आयोजित करने के लिये सैद्धांतिक रूप से सहमति ज़ाहिर की है। ये दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं के बीच पहली औपचारिक बैठक होगी, जो कि बिडेन के पदभार ग्रहण करने के लगभग एक साल बाद होनी वाली है। इससे साफ है कि कैसे कोविड -19 महामारी ने न सिर्फ लोगों के जीवन को बल्कि कूटनीति को भी बदल दिया है।

ये बैठक दोनों देशों के बीच कटुता और आरोपों द्वारा चिह्नित कई महीनों के तनाव के बाद होने जा रही है। इससे एक पुरानी चीनी कहावत को नये मायने मिलते है, जो कि कुछ इस तरह से है “ना रंजिशें और ना रज़ामंदी” बीजिंग और वाशिंगटन (Beijing and Washington) ने प्रतिद्वंद्विता और टकराव के माध्यम से आपसी समझ में सुधार किया है। इससे पहले दोनों नेताओं ने पहले से ही एक साथ पर्याप्त समय बिताने के माध्यम से एक तालमेल स्थापित कर लिया था, जब वे उपाध्यक्ष थे।

तथ्य ये है कि उन्हें औपचारिक बैठक करने में इतना समय लगा, ये चीन-संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंधों के कठिन रास्ते की बदलती गतिशीलता को भी दर्शाता है। साल की शुरुआत में उम्मीद जतायी जा रही थी कि ट्रम्प प्रशासन (Trump Administration) की सत्ता समाप्ति के बाद बिडेन राष्ट्रपति के कार्यकाल में दोनों मुल्कों के तालुक्कात बेहतर होगें लेकिन तब से संबंध और भी खराब हो गये हैं। बीजिंग और वाशिंगटन के बीच टकराहट के खब़रें ग्लोबल हैडलाइन में छायी रही।

वाशिंगटन की कठोर बयानबाजी और बीजिंग पर अपने पश्चिमी सहयोगियों को एकजुट करने के लिये उसके बहुप्रचारित प्रयास देश और विदेश में चीन के व्यवहार और रुख को बदलने में विफल रहे हैं। मूल अमेरिकी सोच के उल्ट कि संख्या में ताकत चीनी नेतृत्व को पीछे कर देगी। वास्तव में बीजिंग ने अपने राजनयिक दृष्टिकोण (Diplomatic Point Of View) को दोगुना कर दिया है, जिसने साफतौर पर वाशिंगटन को चीन पर अपनी विकसित रणनीति के कुछ तत्वों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया। बाइडेन प्रशासन ने कथित तौर पर चीन के प्रति अपनी नीतियों की महीनों लंबी समीक्षा की है।

बीते मार्च में अलास्का में शीर्ष अमेरिकी और चीनी राजनयिकों के बीच असामान्य और गैर-राजनयिक उग्र आदान-प्रदान इस स्थिति का सबसे ज्वलंत उदाहरण था। इसके बाद बीजिंग के शीर्ष राजनयिक यांग जिएची ने चीन के मानवाधिकारों की आलोचना और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था (International system) के लिये इसके खतरे को लेकर सार्वजनिक रूप से अमेरिका को लताड़ लगायी और कहा कि वाशिंगटन अब "चीन से ताकत की स्थिति से बात नहीं कर सकता"। उसी महीने में शी ने कथित तौर पर एक अलग मौके पर कहा कि चीनी लोग अंततः दुनिया की आंखों में आंखे डालकर देखने का माद्दा रखते है। चीन के मौजूदा हालातों में काफी मजबूत मुल्क बन चुका है। कई सालों पहले हमें हीन भावना से देखा जाता था। अलास्का की बैठक के तुरंत बाद टाइट-फॉर-टेट प्रतिबंधों का पालन किया गया, पहले शिनजियांग पर अमेरिका के अगुवाई वाले सहयोगियों के गठबंधन से और फिर बीजिंग की तरह की प्रतिक्रिया।

इस बीच बिडेन प्रशासन ने ताइपे के साथ आधिकारिक संपर्क बढ़ाना जारी रखा है और ताइवान जलडमरूमध्य (Taiwan Strait) में सैन्य गतिविधियों को तेज किया है, ये ट्रम्प प्रशासन द्वारा शुरू की गयी एक रणनीति का हिस्सा है। बीजिंग ने उन कदमों को दोनों मुल्कों के बीच सहमत चीनी सिद्धांत का उल्लंघन करने के तौर पर देखा गया। चीन ने ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में लगातार और तेजी से बड़े युद्धक विमानों को भेजकर इसका जवाब दिया। इस सब ने जलडमरूमध्य में संभावित सैन्य संघर्ष पर अंतरराष्ट्रीय चिंताओं को बहुत बढ़ा दिया है।

इसी संदर्भ में पिछले महीने, शी और बाइडेन के बीच रणनीतिक मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा करने और द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिये एक रूपरेखा निर्धारित करने के लिये लंबी फोन कॉल हुई थी। खासतौर से दोनों पक्षों के बयानों में जोर दिया गया कि बीजिंग और वाशिंगटन के पास प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में बदलने की अनुमति देने का कोई कारण नहीं था, और अमेरिका का एक चीन नीति को बदलने का कोई इरादा नहीं था। दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच सात महीनों में पहली और बिडेन के सत्ता में आने के बाद केवल दूसरी कॉल थी।

बैठक के तुरंत बाद अमेरिका ने चीनी प्रौद्योगिकी दिग्गज हुआवेई के मुख्य वित्तीय अधिकारी मेंग वानझोउ (Meng Wenzhou) को कनाडा में लगभग तीन साल तक हिरासत में रहने के बाद स्वदेश लौटने की अनुमति दी गयी। बदले में चीन में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किये गये दो कनाडाई लोगों को मेंग की नजरबंदी के प्रतिशोध के रूप में देखा गया- को अपने देश में वापसी की अनुमति दी गयी। इस एक्सचेंज ने चीन, अमेरिका और कनाडा से जुड़ी एक लंबी, हानिकारक पंक्ति को खत्म कर दिया है।

मेंग की रिहाई जुलाई में वाशिंगटन को दी गयी चिंताओं की दो लिस्टों का हिस्सा थी, जब दो वरिष्ठ चीनी और अमेरिकी राजनयिक तियानजिन में मिले थे। चीनी पक्ष को उन रिपोर्टों से भी प्रोत्साहित किया गया था कि अमेरिका ने चीनी छात्रों पर वीजा प्रतिबंधों में ढील दी थी। ये मांग दो लिस्टों का हिस्सा थी।

इन सकारात्मक घटनाक्रमों ने दोनों देशों के लिये भारी लेकिन जटिल मुद्दों से निपटने का मार्ग प्रशस्त किया है। व्हाइट हाउस को संकेत देते हुए कहा कि उसने अपनी चीन नीतियों की महीनों की लंबी समीक्षा को समाप्त कर दिया है, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई (US Trade Representative Catherine Tai) ने हाल ही में दिये अपने भाषण में बिडेन प्रशासन की नयी चीन-व्यापार रणनीति के लिए शुरुआती बिंदु रखे।

ताई की रणनीति ट्रम्प प्रशासन से बहुत अलग नहीं है। उन्होंने कहा कि अमेरिका मौजूदा टैरिफ को बरकरार रखेगा और चीन पर पिछले साल जनवरी में हस्ताक्षरित पहले चरण के व्यापार समझौते के हिस्से के रूप में किये गये वादों को पूरा करने के लिये दबाव बनायेगा। इसमें बीजिंग ने साल 2017 की तुलना में साल 2020 और साल 2021 में कम से कम 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अमेरिकी वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने का वादा किया था, लेकिन ये लक्ष्य से बहुत कम हो गया है।

ताई ने ये भी कहा कि अमेरिकी कंपनियों के लिये टैरिफ से छूट के लिये आवेदन करने के लिये अमेरिका तयशुदा प्रक्रिया को फिर से शुरू करेगा, कई अर्थशास्त्रियों ने लंबे समय से तर्क दिया है कि अमेरिकी उपभोक्ताओं पर कर एक समान है और चीनी एक्सपोर्ट के मुकाबले अमेरिकी व्यवसायों को ज़्यादा नुकसान पहुंचता हैं। हालांकि उनका भाषण में ज़्यादा गहराई नहीं देखी गयी। माना जा रहा है कि उनके भाषण मे पेश किये गये तर्क कुछ विश्लेषकों और उद्योग समूहों को निराश कर सकते है हालांकि इसकी पूरी उम्मीद कायम है।

जैसा कि ताई ने कहा कि उसने आने वाले दिनों में वाइस प्रीमियर लियू हे के साथ "स्पष्ट" चर्चा करने की योजना बनायी गयी है, वो साफतौर से अपने चीनी समकक्ष से रियायतें निकालने के लिये टैरिफ का इस्तेमाल लीवरेज के रूप में करने का इरादा रखती है।

इस बीच चीन के शीर्ष राजनयिक यांग और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन (US National Security Advisor Jake Sullivan) के बीच ज्यूरिख में छह घंटे की बैठक हुई, जिसके कारण शी और बिडेन के बीच शिखर सम्मेलन का सैद्धांतिक समझौता हुआ, ने अन्य रणनीतिक मुद्दों को कवर किया। दोनों पक्षों ने मार्च में अलास्का की बैठक की तुलना में बैठक को ज़्यादा रचनात्मक और विस्तृत बताया, क्योंकि वे उच्च स्तरीय संवाद और संचार बनाये रखने पर सहमत हुए थे।

शायद देशों के बीच की खाई के शब्द के इस्तेमाल को लेकर यांग और सुलिवन दोनों ही असहमत थे, जिसके साथ द्विपक्षीय संबंधों को जोड़कर देखा जा रहा था। इस मौके पर सुलिवन ने कहा कि अमेरिका "जिम्मेदार प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने" के लिये वरिष्ठ स्तर पर चीन के साथ जुड़ना जारी रखेगा, यांग ने कहा कि चीन संबंधों को "प्रतिस्पर्धी" के रूप में परिभाषित करने का विरोध करता है।

ये घटनाक्रम सतर्क आशावाद के लिए आधार प्रदान करते हैं, क्योंकि दोनों देशों ने अपने टकराव के दृष्टिकोण से दूर जाना शुरू कर दिया है और एक ऐसी अवधि में प्रवेश कर रहे हैं जिसके दौरान वे अपने जटिल और भयावह द्विपक्षीय संबंधों में जोखिमों और खतरों को कम करने के तरीके खोजेंगे।

सह-संस्थापक संपादक: राम अजोर

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