न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): रक्षा स्टाफ के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के मुताबिक चीन (China) भारत के खिलाफ साइबर हमलें करने की काबिलियत रखता है। इस तरह के किसी भी कदम का मुकाबला करने के लिए हमें वक़्त रहते तैयार रहना होगा। बीते बुधवार (7 अप्रैल 2021) को विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में अपनी बात रखते हुए रावत ने कहा कि भारत के नेतृत्व ने देश की सुरक्षा और प्रतिष्ठा पर बेवज़ह हमलों के मद्देनजर अहम राष्ट्रीय हितों को बनाए रखने में राजनीतिक इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया है। सीडीएस रावत का ये बयान पूर्वी लद्दाख में चीन की हरकतों और गतिरोध से जोड़कर देखा जा रहा है।
उन्होनें आगे कहा कि इस मामले में पहले करने के कारण चीन को बड़ा फायदा मिल सकता है। दूसरी ओर भारत साइबर युद्ध क्षमताओं को अपनाने में काफी धीमा और पीछे चल रहा है। जिसकी वज़ह से एक बड़ा अंतर आ गया है। जो कि नई दिल्ली के लिए चिंता का सब़ब है। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होनें कहा कि भारत और चीन के बीच सबसे बड़ा अंतर साइबर वॉरफेयर (Cyber warfare) में है। साथ ही उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश ने नई तकनीक में काफी निवेश किया है।
जनरल रावत ने कहा कि पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच क्षमताओं के बीच अंतर काफी बढ़ा है और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में चीन भारत से कहीं आगे निकल गया है। हम जानते हैं कि चीन हम पर साइबर हमला करने में पूरी तरह सक्षम है और ये हमारी प्रणाली को बड़े पैमाने पर भारी नुकसान पहुँचा सकता है। हम एक ऐसी प्रणाली बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो साइबर रक्षा सुनिश्चित करेगी। देश विभिन्न सुरक्षा खतरों और चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें अप्रत्यक्ष युद्ध से लेकर ‘हाइब्रिड’ और गैर-संपर्क पारंपरिक युद्ध (Non-contact conventional warfare) शामिल हैं। भारत को इस तरह की चुनौतियों से सख्ती से निपटने और अपने दोस्तों के बीच कोई असुरक्षा ना पैदा हो इसके लिए क्षमता विकसित करनी चाहिए।
साइबर सुरक्षा एजेंसी के गठन पर उन्होनें कहा कि, हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं, वो एक प्रणाली है जो साइबर रक्षा सुनिश्चित करेगी। हम सशस्त्र बलों के भीतर एक साइबर एजेंसी बनाने में सक्षम हैं और प्रत्येक सेवा की अपनी साइबर एजेंसी भी है, जो सुनिश्चित करती है कि भले ही हम साइबर हमला हो जाये, पर ये ज़्यादा देर कायम ना रहे।
अपने संबोधन में उन्होंने भारत की सेना के विकास का भी जिक्र किया और कहा कि देश को सुरक्षा समाधानों के लिए पश्चिमी दुनिया से उम्मीद रखने से बचना चाहिए। हमें दुनिया को बताना चाहिए कि चुनौतियों से निपटने में हमारा अनुभव काफी बेहतरीन रहा है। दुनिया हमसे से काफी कुछ सीख सकती है।
जनरल रावत ने कहा कि भारत की बाहरी खतरों से प्रभावी कूटनीति और पर्याप्त रक्षा क्षमता से निपटा जा सकता है, लेकिन ये ध्यान रखना चाहिए कि मजबूत राजनीतिक संस्थान, आर्थिक विकास, सामाजिक सद्भाव, प्रभावी कानून, व्यवस्था तंत्र, त्वरित न्यायिक राहत, आंतरिक स्थिरता और सुशासन इसके लिए जरूरी शर्तें है।
संसद में पेश किये गये आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2019 के मुकाबले पिछले साल साइबर हमलों में लगभग 300 फीसदी का उछाल आया है। जो साइबर हमले 2019 में 3,94,499 वहीं पिछले साल 2020 में बढ़कर 11,58,208 हो गये। जो सरकार के लिए चिंताजनक है।