न्यूज़ डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): High Beats पर चलने वाले पंजाबी गाने (Punjabi Songs) भला किस को नहीं पसंद है। अब इन्हीं पंजाबी गानों को चीन ने भारत के खिलाफ अपना हथियार बना लिया है। बीजिंग के हुक्मरानों के इशारे पर पीएलए को लद्दाख के पूर्वी मोर्चे के पास पैंगोंग झील से सटे फिंगर-4 इलाके में बड़े-बड़े लाउडस्पीकर लेकर भारतीय ज़वानों का ध्यान भटकाने के लिए पंजाबी गानों का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ा रहा है। चीन को लगातार भारतीय ज़वानों की सर्तकता और मुस्तैदी खल रही है जिसके चलते उसने इस कवायद को शुरू किया।
फिलहाल भारतीय सेना की ओर से उस पोस्ट की निगरानी और भी बढ़ा दी गयी है जहाँ पर इन लाउडस्पीकर्स की तैनाती की गयी है। गौरतलब है कि चीन पारम्परिक लड़ाई करने से ज़्यादा मनोवैज्ञानिक युद्ध और दुष्प्रचार (Chinese psychological warfare and propagand) कर मैदान-ए-जंग फतह करने में ज़्यादा विश्वास रखता है। जिसके लिए वो अक्सर सोशल मीडिया और अपने मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स का सहारा लेता आया है। इससे ये बात साफ हो जाती है कि चीन के पास पारम्परिक युद्ध का तर्जुबा भारत के मुकाबले लगभग ना के बराबर है। इसलिए वो ऐसी हरकतों का सहारा ले रहा है।
चीन ने पहले भी ऐसी ही हरकत को अन्ज़ाम दिया था जिसके तहत उसने पैगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर भारी आर्टिलरी और आर्मर्ड की तैनाती (Deployment of Artillery and Armored) की थी। चीनी को लगता था कि इस सैन्य कवायद से भारतीय सेना का मनोबल टूटेगा, जो कि नहीं हुआ। इसके उल्ट भारतीय सेना ने चीन को अपनी हदों में रहने की चेतावनी दी। हाल-फिलहाल में भारतीय सैनिकों का आत्मविश्वास और मनोबल तोड़ने के लिए लाउडस्पीकर्स से चीनी सेना द्वारा हिन्दी में संदेश भी भेजे जा रहे है। जिनमें भारतीय सैनिकों को कहा जा रहा है कि भारत सरकार का केन्द्रीय नेतृत्व भारतीय सेना का मूर्ख बना रहा है।
इसी कड़ी में पीएलए भारतीय सेना से इस इलाके में बेहद ठंड के माहौल के बीच तैनाती की सार्थकता (Significance of deployment) पूछ रहा है। चीनी सेना के मुताबिक जहां खाने के लिए गर्म खाना तक नसीब नहीं हो पाता हो, वहां भारतीय सेना की तैनाती का कोई मतलब नहीं बनता। इससे पहले चीन साल 1962 और 1967 में भारत के खिलाफ लाउडस्पीकर्स मनोवैज्ञानिक युद्ध का इस्तेमाल कर चुका है। गौरतलब है कि साउथ कोरिया और नॉर्थ कोरिया भी अपने सीमाई इलाकों में एक-दूसरे के खिलाफ इसी सामरिक रणनीति का इस्तेमाल करते है।
दूसरी ओर चीन की इन हरकतों का मुँह तोड़ ज़वाब देने के लिए भारतीय सेना ने कमर कस ली है। लद्दाख के पूर्वी मोर्चे पर आने वाली कड़ाके की सर्दियों को देखते हुए होवित्ज़र-777 तोपों, थर्मल टैंट, खास वर्दी, गोला-बारूद, पेट्रोल-डीजल सहित मिसाइलें की पर्याप्त व्यवस्था कर ली गयी है, ताकि किसी भी तरह के हालातों के लिए तैयार रहा जा सके। भारतीय सेना की इन कवायदों ने साबित कर दिया है कि चीन की तरफ से होने वाले किसी भी पारम्परिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध (Traditional and psychological warfare) का डटकर मुकाबला किया जायेगा।