नई दिल्ली (विश्वरूप प्रियदर्शी): लद्दाख के पूर्वी मोर्चे पर लगातार China की ओर से सैन्य माहौल गर्माने की कोशिश जारी है। हाल ही में दोनों देशों के विदेशी मंत्रियों के बीच तनाव कम करने और शांति बहाली के लिए न्यूनतम पांच साझा बिन्दुओं पर सहमति बनी है। बावजूद इसके लिए बीजिंग अपने विस्तारवादी मानसिकता से बाज़ आता नहीं दिख रहा है। इस बीच द इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट सामने आयी है। जो भारत के लिए बड़ी परेशानी का सब़ब बन सकता है।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक चीन भारत को घेरने के लिए अब अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहा है। जिसके तहत भारतीय राजनीति, कारोबार, मीडिया, खेल-जगत, और न्यायपालिका से जुड़े तकरीबन 10,000 लोगों पर चीनी एजेंसियां लगातार नज़रे बनाये हुए है। बीजिंग द्वारा ट्रैक किये जा रहे लोगों में कई बड़े भारतीय अपराधी भी शामिल है। भारत के खिलाफ चीन की तीसरी आंख शेनजेन प्रांत की झेनहुआ डेटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड (Zhenhua Data Information Technology Co. Limited) कंपनी बनी हुई है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना से जुड़ी ये फर्म बिग डाटा एनालिसिस और रियल टाइम इलैक्ट्रॉनिक सर्विलांस ट्रैकिंग एंड मॉनिटरिंग (Big Data Analysis and Real Time Electronic Surveillance Tracking and Monitoring) में महारथी है।
चीन लगातार राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी सहित पूरा गांधी परिवार, मुख्य मंत्री ममता बनर्जी, अशोक गहलोत, अमरिंदर सिंह, उद्धव ठाकरे, नवीन पटनायक, शिवराज सिंह चौहान, कैबिनेट मंत्री राजनाथ सिंह, रविशंकर प्रसाद, निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी, पीयूष गोयल, रक्षा स्टाफ के प्रमुख बिपिन सिंह रावत, सेना, नौसेना और वायु सेना के कम से कम 15 पूर्व प्रमुखों की लगातार निगरानी रख रहा है। इन लोगों के एक-एक पल की गतिविधि का खब़र लगातार बीजिंग में बैठे हुक्मरानों तक पहुँच रही है। इसके साथ ही भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद बोबडे, न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर, लोकपाल पीसी घोष, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक जीसी मुर्मू, रत्न टाटा और गौतम अडानी आदि लोगों का रोजमर्रा का ब्यौरा भी लगातार चीन के पास पहुँच रहा है।
ये फेहरिस्त काफी लंबी है। इसमें कई वैज्ञानिक, पत्रकार, अभिनेता, खिलाड़ी, राजनीतिक कार्यकर्ता, नौकरशाह और धार्मिक हस्तियां भी शामिल है। इतना ही नहीं चीन उन लोगों की भी मॉनिटरिंग कर रहा है, जो वित्तीय अपराध, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, और मादक पदार्थों की तस्करी के दोषी है। ये खब़र ऐसे वक्त में सामने आयी है, जब चीन लगी नियन्त्रण रेखा पर हालात काफी नाज़ुक बने हुए है। झेनहुआ डेटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड पीएलए को खुफिया, सैन्य और सुरक्षा संबंधी सहयोग, जानकारी, तकनीक और सर्विलांस मुहैया करवाती है।
ये खब़र छापने से पहले द इंडियन एक्सप्रेस ने दो महीनों तक काफी मशक्कत की। झेनहुआ की कवायदों को जांचने के लिए बड़े पैमाने पर उनके मेटाडेटा का खंगाला गया। जिसके लिए द इंडियन एक्सप्रेस ने बिग-डेटा टूल्स का इस्तेमाल किया। जिसमें पाया गया कि, झेनहुआ इस काम के लिए भारतीय निकायों द्वारा बड़ी तादाद में डंप किये गये लॉग फाइल की मदद लेती है। कंपनी ने इसे ओवरसीज की इन्फॉर्मेशन डेटाबेस (Overseas Key Information Database -OKIDB) नाम दिया है। ये डेटाबेस अपने काम को अन्ज़ाम देने के लिए एडवांस प्रोग्रोमिंग लैंग्वेज, टारगेटिंग और क्लासिफिकेशन टूल्स का इस्तेमाल करता है। इसकी जद में यूनाइटेड स्टेट्स, यूनाइटेड किंगडम, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी और संयुक्त अरब अमीरात की एन्ट्रियां भी शामिल है।
फिलहाल इस खब़र से जुड़े तथ्य और आंकड़े वियतनाम के एक अज्ञात प्रोफेसर ने शेन्ज़ेन में पढ़ाने वाले क्रिस्टोफर बाल्डिंग के माध्यम से द इंडियन एक्सप्रेस, द ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू, इटली के इल फोग्लियो और द डेली टेलीग्राफ जैसे मीडिया संस्थानों से साझा किये है। इस हाइब्रिड वॉरफेयर का इस्तेमाल गैर सैन्य तरीके से किसी देश पर प्रभुत्व जमाने और उन्हें गैर पारम्परिक नुकसान पहुँचाने में किया जाता है। ये तकनीक एक तरीके से सूचना प्रदूषण, छवि प्रबंधन और दुष्प्रचार के लिए इस्तेमाल की जाती है।
जब इंडियन एक्सप्रेस ने इस मुद्दे पर दिल्ली स्थित चीनी दूतावास से सम्पर्क किया तो चीनी अधिकारियों ने कहा कि- चीनी कंपनियों को सीपीसी (Communist Party of China) की तरफ से सूचना, खुफ़िया जानकारी और दूसरे देशों का डेटा इकट्ठा करने के कोई आदेश नहीं दिये गये है। चीनी फर्म और कंपनियां विदेशों में कारोबार करते हुए स्थानीय नियम कानूनों का काफी सख्ती से पालन करती है। हम इसी पैमानों को बनाये हुए है। हालांकि चीनी अधिकारियों ने ये साफ नहीं किया कि पीएलए या चीनी सरकार झेनहुआ कंपनी की सेवायें लेते है या नहीं। साथ ही वे इस बात से भी बचते दिखे कि ओकेआईडीबी डेटा का इस्तेमाल करने के पीछे क्या मकसद है।
वेब और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म से जानकारी हासिल करना। शोध पत्रों, लेखों, पेटेंटों, भर्ती पदों पर नज़रे बनाये रखने से झेन्हुआ एक मॉनिटरिंग सर्विस मैप तैयार करती है। जिससे व्यक्ति और उसके संबंधियों काफी जानकारी हासिल की जा सकती है। तकनीकी भाषा में इसे पर्सनल इंफॉर्मेशन और रिलेशनशिप माइनिंग कहा जाता है। कई स्रोतों से जानकारी हासिल करने बाद कंपनी व्यक्तियों, संस्थानों और संगठनों के बीच नेटवर्क, और उनके नेतृत्व में आये बदलावों और मौजूदा परिस्थितियों का विश्लेषण कर अपने काम की जानकारियां जुटा लेती है।
इंडियन एक्सप्रेस को अपनी जांच में पता लगा है कि ओकेआईडीबी की मदद से लगातार प्रधानमंत्री मोदी (पत्नी जशोदाबेन) के रिश्तेदारों को ट्रैक किया जा रहा है। साथ ही राष्ट्रपति कोविंद (पत्नी सविता कोविंद), पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (पत्नी गुरशरण कौर और उनकी बेटियाँ उपिंदर, दमन, अमृत), सोनिया गांधी (पुत्र राहुल गांधी, बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा), स्मृति ईरानी (पति जुबिन ईरानी), हरसिमरत कौर (पति सुखबीर सिंह बादल, भाई बिक्रम सिंह मजीठिया और पिता सत्यजीत सिंह मजीठिया), अखिलेश यादव (पिता मुलायम, पत्नी डिंपल, ससुर आर सी रावत, चाचा शिवपाल सिंह और राम गोपाल) इन सभी राजनीतिक शख़्सियतों सहित उनके पूरे परिवार की पर्सनल इंफॉर्मेशन और रिलेशनशिप माइनिंग की जा चुकी है। जिससे ये सभी लोग हाईब्रिड वॉरफेयर के दायरे में आ चुके है।
ये सूची काफी लंबी है इसमें पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, अशोक चव्हाण, सिद्धारमैया भी शामिल है। चीनी ट्रैकिंग डेटाबेस में डीएमके के दिवंगत एम करुणानिधि, बहुजन समाज पार्टी के स्वर्गीय कांशी राम और राजद के लालू प्रसाद यादव को भी शामिल किया गया है। नीति आयोग के अमिताभ कांत सहित 23 पूर्व और वर्तमान मुख्य सचिव, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला सहित 250 से अधिक भारतीय नौकरशाहों और राजनयिकों के पल-पल की गतिविधि ये कंपनी ट्रैक और मॉनिटर कर रही है। इनमें कई बड़े रिटार्यड आईपीएस और पुलिस प्रमुख भी शामिल है।
भारतीय मीडिया जगत के कई बड़े नाम भी बीजिंग के रडार पर है इनमें ज़ी न्यूज़ के प्रधान संपादक सुधीर चौधरी, इंडिया टुडे समूह के परामर्श संपादक राजदीप सरदेसाई, प्रधानमंत्री कार्यालय में पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू और इंडियन एक्सप्रेस के मुख्य संपादक राज कमल झा खासतौर से शामिल है। साथ ही पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल, शास्त्रीय नृत्यांगना सोनल मानसिंह, पूर्व अकाल तख्त जत्थेदार गुरबचन सिंह, राधे मां (सुखविंदर कौर), बीबी जागीर कौर, निरंकारी मिशन के हरदेव सिंह सहित कई भारतीय बिशप और चर्चों के आर्कबिशप भी चीनी वॉरफेयर सर्विलांस मैकेनिज़्म की जद में शामिल है।
बेशक कई देश खुफिया और गोपनीय जानकारी हासिल करने के लिए नयी उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते है लेकिन जिस तरह से चीन ने डेटा साइंस और प्रौद्योगिक का इस्तेमाल किया है, वे इसे अगले नवीनतम स्तर तक ले आया है। चीन इस हाईब्रिड वॉरफेयर को लेकर कितना गंभीर है इस बात का अन्दाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने कई तरह के लोगों सहित उनके परिवार तक घुसपैठ बना ली है और लगातार उनके कामों, हरकतों और आवागमन पर नज़रे बनाये हुए है। कहीं ना कहीं ये खब़र भारत के लिए खतरे की घंटी बन चुका है।