न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): फिलीपींस और चीन (China-Philippines) के बीच बढ़ते सीमा विवाद की कड़ी में आज एक और नया घटनाक्रम जुड़ गया। फिलीपींस कोस्ट गार्ड ने दावा किया कि दक्षिणी चीन सागर के विवादास्पद इलाकों में 220 चीनी सैन्य जहाजों ने बीते 7 मार्च को घुसपैठ की। मौके पर जहाजों की कमान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की नेवी विंग के अधिकारी संभाल रहे थे। फिलीपींस की ओर से किए गये, रेडियो संपर्क में दावा किया गया कि चीनी सेना के अधिकारी खुद जहाजों मौजूद थे, साथ ही उन्हीं के निर्देशन में फिलीपींस की जल सीमा में अतिक्रमण की कार्रवाई की गयी।
इसी मामले पर फिलीपींस के विदेश मंत्री टिओडोर लॉसिन की प्रतिक्रिया सामने आयी, उन्होंने कहा कि राजनयिक विरोध उसी दशा में दर्ज करवाया जायेगा। जब फिलीपींस के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी इस मामले की पूरी जानकारी मुहैया करवाएंगे। गौरतलब है कि ठीक इसी तर्ज पर चीन ने ताइवान की हवाई सीमा का उल्लंघन किया था। उस दौरान करीब 11 चीनी लड़ाकू विमान ताइवान की वायु सीमा में ज़बरन घुसे चले आये थे। जिसके जवाब में ताइवान के फ्रंटलाइन फाइटर एयरक्राफ्ट (Frontline fighter aircraft) ने उनका पीछा करते हुए उन्हें खदेड़ दिया। साथ ही अमेरिका की ओर से ताइवान में तैनात आयरन डॉम मिसाइल सिस्टम (Iron dome missile system) को भी हाई अलर्ट पर कर दिया गया था। ताइवान की ओर से इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दर्ज कराते हुए कहा गया कि, चीन काफी समय से इसी तरह की उकसावे में भरी हुई कार्रवाई दक्षिणी चीन सागर और आसपास के पड़ोसी देशों के साथ करता रहा है।
बता दें कि पश्चिम फिलींपीन सागर की निगरानी के लिए मनीला ने एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया है। जो कि विवादित जल क्षेत्र में बीजिंग द्वारा जरूरत से ज़्यादा मछली पकड़ने और समुद्री पर्यावरण नष्ट करने की कार्रवाई पर निगरानी रखता है। इसी मसले पर कई विशेषज्ञ चिंता जता चुके है। फिलींपींस का मानना है कि बीजिंग के आक्रामक तेवरों के कारण चीन सागर अपना वास्तविक रूप खोता जा रहा है। इस इलाके में अंधाधुंध रूप से मछली पकड़ कर चीन अपने नागरिकों की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए बेबस है। अगर इसी रफ्तार से मछलियां पकड़ी गयी तो साल 2030 तक चीन वैश्विक स्तर पर 38 फीसदी मछलियों का खपत करने वाले देश बन जायेगा। चीन की हरकतों के कारण ही इस इलाके में मछलियां बेहद कम पायी जाती है। जिससे फिलीपींस की सरकार काफी परेशान है।
इस पूरे मामले पर अभी तक चीनी विदेशी मंत्रालय की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी। साथ ही फिलीपींस ने भी बीजिंग के सामने कोई आपत्ति नहीं दर्ज की। साल 2016 के दौरान इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल (International tribunal) में चीन के उस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया गया। जिसमें बीजिंग ने विवादास्पद जल सीमा के भीतर 90 फ़ीसदी हिस्से पर अपना हक जताया था। गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर में दुनिया के मुकाबले सबसे ज्यादा समुंद्री संसाधन पाये जाते हैं। इस इलाके की सीमा ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया, चीन, लाओस, कंबोडिया, मलेशिया, सिंगापुर, ताइवान और वियतनाम से लगती है। संयुक्त राष्ट्र के समझौते को ताक पर रखते हुए चीन अक्सर इस जल क्षेत्र के एक बड़े हिस्से पर अपना दावा करता रहा है। चीन के बढ़ते सैन्य दबदबे (Increased military dominance) के कारण इस जलीय सीमा से लगने वाले दूसरे देश बेहद दबाव में रहते हैं। जिसके कारण वो अपनी आपत्ति दर्ज करवाने में झिझकते है।