एजेंसियां/न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): चीन के विदेश मंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहले बड़े बयान में किन गैंग ने चीन की संसद की सालाना बैठक से अलग से बोलते हुए कहा कि ताइवान (Taiwan) “पहली रेड लाइन” है, संयुक्त राज्य अमेरिका को चीन-अमेरिका संबंधों में इसे पार करने से बचना चाहिए। उन्होंने (Chinese Foreign Minister Qin Gang) ये भी कहा कि अमेरिकी अधिकारियों के लिये ताइवान को चीन के आंतरिक मामले के तौर पर खारिज करना बेतुकी कवायद थी। उन्होंने कहा कि, “ताइवान का सवाल चीन के मूल हितों का मूल है, चीन-अमेरिका संबंधों की राजनीतिक नींव का आधार है और ये पहली रेड लाइन है जिसे चीन-अमेरिका संबंधों में पार नहीं किया जाना चाहिये।”
किन ने वाशिंगटन (Washington) को ताइवान सवाल के लिये भी दोषी ठहराया। ताइवान पर सवाल पैदा करने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका की अडिग जिम्मेदारी है। उन्होंने आगे कहा कि- “बीजिंग (Beijing) तथाकथित दो चीनियों के शांतिपूर्ण पुनर्मिलन के लिये काम करता रहेगा। किन ने कहा कि चीन के पास सभी जरूरी उपाय करने का अधिकार पूरी तरह सुरक्षित है। किसी को भी चीनी राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिये चीनी सरकार और चीनी लोगों के दृढ़ संकल्प, दृढ़ इच्छाशक्ति और महान क्षमता को कभी कम करके नहीं आंकना चाहिए।”
हाल ही में चीन और ताइवान के बीच तनाव में काफी इज़ाफा देखा गया है। चीन लोकतांत्रिक तौर पर ताइवान को अपने इलाके के रूप में देखता है और पिछले तीन सालों में ताइपे को चीनी संप्रभुता को मंजूर करने के लिये राजनयिक और सैन्य दबाव बढ़ाया गया है।
दूसरी ओर ताइवान चीन के क्षेत्रीय दावों का कड़ा विरोध करता है और कहता है कि सिर्फ ताइवान के लोगों को ही अपना भविष्य तय करने का अधिकार है। वाशिंगटन ताइवान की संप्रभुता के दावों का समर्थन करता है। साल 2022 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन (US President Joe Biden) ने ताइवान के लिये $10 बिलियन (€9.4 बिलियन) तक की मदद समेत एक रक्षा व्यय बिल पर हस्ताक्षर किये। उन्होंने यहां तक कहा है कि अगर चीन ताइवान पर बेवज़ह हमला करता है तो वाशिंगटन इसमें सीधा दखल देगा।