एजेंसियां/न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): बीजिंग के एक अधिकारी ने हाल ही में चेतावनी दी कि अगर ताइवान (Taiwan) आज़ादी की ओर कदम बढ़ाता है तो चीन “सख़्त कदम” उठायेगा, साथ ही अधिकारी ने दावा किया कि ताइवान के उकसावे और बाहरी दखल अगले साल तेज हो सकते हैं। चीन (China) लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान को अपने इलाके के तौर पर दावा करता रहा है और पिछले दो सालों में अपनी संप्रभुता के दावे पर जोर देने के लिये बीजिंग ने सैन्य और राजनयिक दबाव बढ़ा दिया है, जिससे ताइपे (Taipei) में गुस्सा और वाशिंगटन (Washington) में चिंता बढ़ गयी है।
ताइवान मामलों के कार्यालय के प्रवक्ता मा शियाओगुआंग (Ma Xiaoguang) ने मीडिया से कहा कि- चीन ताइवान के साथ शांतिपूर्ण मेलजोल की कोशिश करने के लिये हर मुमकिन कोशिश करने को तैयार था, लेकिन अगर आज़ादी पर किसी भी हद को पार किया गया तो वो कार्रवाई करेगा। मा ने आगे कहा कि, “अगर ताइवान में स्वतंत्रता की मांग वाली अलगाववादी ताकतें अड़चन डालती है तो हम कठोर कदम उठाने के लिये मजबूर हो जायेगें”
चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच तनावपूर्ण संबंधों में ताइवान अहम फैक्टर के तौर पर उभरा है। वाशिंगटन औपचारिक राजनयिक संबंधों की गैरमौजूदगी के बावजूद द्वीप के सबसे अहम अंतर्राष्ट्रीय समर्थक और हथियार सप्लायर है। चीन नियमित रूप से विवादित द्वीप (Disputed Island) को संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने संबंधों में सबसे संवेदनशील मुद्दा बताता रहा है।
मा ने कहा कि आज़ादी के पैरोकार ताकतों के उकसावे और “बाहरी हस्तक्षेप” आने वाले महीनों में “तेज और ज़्यादा तेज” हो सकते हैं। अगले साल ताइवान जलडमरूमध्य (Taiwan Strait) के हालात और ज्यादा पेचीदा और गंभीर हो जायेगें।
बता दे कि ताइवान पर दबाव बनाने के लिए बीजिंग ने हाल के महीनों में ताइवान जलडमरूमध्य पर बार-बार हवाई मिशन (Air Mission) भेजे हैं। पर ताइपे धमकियों के आगे नहीं झुकेगा ऐसा ताइवान की शीर्ष नेतृत्व ने साफ किया।
संयुक्त राज्य अमेरिका सिर्फ एक चीन को मान्यता देता है, ताइवान को रक्षा के लिये हथियार मुहैया करवाना अमेरिकी के लिये बेहद जरूरी है। लंबे समय से “रणनीतिक अस्पष्टता” की नीति का पालन किया है कि क्या ये चीनी हमले के हालातों में ताइवान की रक्षा के लिये सैन्य रूप से हस्तक्षेप करेगा?
गौरतलब है कि चीनी गणराज्य की पराजित सरकार 1949 में कम्युनिस्टों के साथ गृहयुद्ध हारने के बाद ताइवान भाग गयी, जिन्होंने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (People’s Republic of China) की नींव रखी।