न्यूज डेस्क (गंधर्विका वत्स): China-Tibet: चीनी दूतावास ने निर्वासित तिब्बती सरकार (Tibetan government in exile) द्वारा आयोजित एक बैठक में हिस्सा लेने वाले कुछ सांसदों को नाराज़गी जताते हुए खत लिखा। बैठक में हिस्सा लेने वाले सांसदों में जयराम रमेश, मनीष तिवारी, सुजीत कुमार, राजीव चंद्रशेखर, रामदास अठावले, मेनका गांधी शामिल थे। भारत में चीनी दूतावास के राजनीतिक सलाहकार झोउ योंगशेंग (Zhou Yongsheng, Political Adviser to the Chinese Embassy) के खत में भारतीय सांसदों से “बाहरी अलगाववादी राजनीतिक समूह (Separatist Political Group) और अवैध संगठन” के साथ शामिल नहीं होने का आह्वान किया गया है।
बता दे कि इस मामले पर चीनी सरकार (Chinese government) का रूख़ काफी साफ रहा है। बीजिंग कहता रहा है कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (Tibet Autonomous Region) चीन के जनवादी गणराज्य के क्षेत्र का हिस्सा है और बीजिंग किसी भी क्षमता में तिब्बती स्वतंत्रता बलों द्वारा संचालित किसी भी चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों का दृढ़ता से विरोध करता है” .
इस खत के चीन की लोन वुल्फ कूटनीति (Lone Wolf Diplomacy) के तौर पर देखा जा रहा है। जो कि बीजिंग की राजनयिक वैश्विक प्रवृत्ति (Diplomatic Global Trend) का हिस्सा है जो कि अतीत और दुनिया भर में ऐसा करते रहे हैं। अपमानजनक लहजे में पत्र में लिखा गया है कि, “आप (भारतीय सांसद) वरिष्ठ राजनेता हैं, जो चीन-भारत संबंधों को अच्छी तरह से जानते हैं। उम्मीद है कि आप इस मुद्दे की संवेदनशीलता को समझ सकते हैं और “तिब्बती स्वतंत्रता” बलों को समर्थन प्रदान करने से परहेज कर सकते हैं।
बता दे कि सभी सांसदों को खत नहीं मिला। कार्यक्रम में मौजूद सांसद मनीष तिवारी (MP Manish Tewari) ने कहा कि, “न तो मुझे कोई खत मिला है और न ही मैं इस तरह की भद्दी बातों का जवाब देकर खुद को नीचा या कमतर करूंगा। अगर वांग यी ने लिखा होता तो शायद मैं जवाब देने पर विचार करता।”
इस बीच निर्वासित तिब्बती सरकार ने इस मामले कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। साथ ही इस मुद्दे पर सिलसिलेवार तरीके से ट्विट भी किया। मामले पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रवक्ता तेनज़िन लेक्षय (Tenzin Lekhai, spokesman for the Central Tibetan Administration) ने कहा, “तिब्बत मुद्दा निश्चित रूप से चीन का आंतरिक मुद्दा नहीं है। तिब्बत में जो कुछ भी होता है, वो दुनिया भर के सभी लोगों के लिये गंभीर चिंता का विषय है। चीन को हर समय विस्तारवादी सोच के साथ इधर-उधर बढ़ना बंद करना चाहिए।”
ये पहली बार नहीं है जब चीनी दूतावास ने ऐसा खत भेजा है, अतीत में उसने ताइवान सरकार द्वारा आयोजित एक बैठक में हिस्सा लेने से रोकने के लिये सांसद सुजीत कुमार को खत लिखा था। बीजू जनता दल (बीजद) के राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार को नई दिल्ली में चीन दूतावास से पत्र मिला है, जिसमें उनसे ताइवान के तथाकथित फॉर्मोसा क्लब के साथ इस तरह की भागीदारी से बचने के लिये कहा गया।
बता दे कि ताइवान का द फॉर्मोसा क्लब (The Formosa Club of Taiwan) द्वारा आयोजित कार्यक्रम का मुख्य एजेंड़ा इंडो-पैसिफिक देशों के साथ दोस्ती बढ़ाने और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति स्थिरता सुनिश्चित करने से जुड़ा था। इस कार्यक्रम की फडिंग ताइवानी विदेश मंत्रालय (Taiwanese Foreign Ministry) ने की थी।