इंटरनेशनल डेस्क (अक्षय कुमार): जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोरोना वायरस (Corona Virus) ने पूरी दुनिया की स्वास्थ्य व्यवस्था और अर्थव्यवस्था, दोनों को ही जड़ से हिलाकर रख दिया है। अब तो कई हद तक ये भी साफ हो गया है कि दुनियाभर में इस खतरनाक वायरस का फैलना महज़ कोई गलती नहीं बल्कि चीन की सोची समझी साज़िश थी। इस महामारी के चलते कोई देश हर तरह से चीन का बहिष्कार करना चाहता है तो कोई उसे उसकी नानी याद दिलाने की तैयारी में जुटा है।
वैसे तो इस मसले की शुरूआत से ही अमेरिका (America) का कहना है कि चीन ने दुनिया को कोरोना वायरस के बारें में समय रहते सही जानकारी नहीं देकर, सभी को इस महामारी रूपी समुन्द्र में जान बुझकर ढकेल दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने तो ये भी आरोप लगाया है कि कोरोना वायरस को चीन ने अपनी प्रयोगशाला में ही बनाया है और इसके पुख्ता सबूत भी मिल रहे हैं।
इसी के मद्देनज़र, अब अमेरिका चीन के विरुद्ध एक राजनीतिक माहौल तैयार करने में लगा हुआ है जिससे चीन को हर तरफ से घेरा जा सके। ख़बर है कि अमेरिका के विदेश मंत्री पॉम्पियो ने छह देशों के विदेश मंत्रियो के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया। जिसमें भारत के साथ-साथ जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, इज़रायल और ब्राजील के विदेश मंत्रियों ने भाग लिया। एकजुट होकर की गई इस बैठक के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने प्रेस रिलीज़ जारी कर मीडिया को बताया कि विदेश मंत्रीयों के साथ हुई बैठक में कोरोना वायरस पर लगाम लगाने के लिए उठाए जा रहे कदमों में पारदर्शिता बरतने, अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित करने को लेकर चर्चा की गई। जिससे आने वाले समय में इस प्रकार की चुनौतियों से आसानी से निपटा जा सके।
इस बैठक में इन मुद्दों के आलावा साउथ चाइना सी पर भी बात की गई। जहाँ चीन ने अतिक्रमण कर रखा है और इसपर सभी देश अमेरिका के रुख से सहमत भी दिखाई दिए। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि इस बैठक में छह देशों का एकजुट होना, चीन के लिए किसी बड़ी चुनौती और सशक्त चेतावनी से कम नहीं है।