एजेंसियां/न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): हाल ही में पेंटागन (Pentagon) ने मिलने वाले नये F-35 फाइटर जेट्स (Fighter Jets) की सप्लाई पर फिलहाल के लिये रोक लगा दी है। अमेरिकी अधिकारियों को ये पता लगा है कि फाइटर जेट के इंजन में इस्तेमाल होने वाले चुंबक में चोरी छिपे चीनी प्रतिबंधित मैटेरियल का इस्तेमाल कर रहा है। विमान निर्माता लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) ने हाल ही में पाया कि जेट के इंजन में इस्तेमाल किया गया एक हिस्सा चीन में बना था, जिसकी पुष्टि रक्षा विभाग और कंपनी ने बुधवार (स्थानीय समयानुसार) को की।
डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट मैनेजमेंट एजेंसी ने 19 अगस्त को एफ -35 ज़्वॉइंट प्रोग्राम ऑफिस को जानकारी दी कि एफ -35 के टर्बोमशीन पंपों में चुंबक में इस्तेमाल होने वाले मिश्र धातु का प्रोडक्शन चीन में किया गया था। कार्यालय के प्रवक्ता रसेल गोमेरे (Russell Gomere) ने द हिल को दिये अपने बयान में कहा कि विशेष धातुओं से जुड़े रक्षा नियमों के साथ एफ -35 कार्यक्रम के काम्प्लयेशस को सुनिश्चित करने के लिये प्रोग्राम ऑफिस ने नये एफ -35 जेट्स को लेने को लेकर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है। बता दे कि F-35 लॉकहीड विमान बनाता है और हनीवेल (Honeywell) टर्बोमशीन का प्रोडक्शन करता है।
अगस्त के आखिर में हनीवेल को टर्बोमशीन के लिये उनके तीसरे लेवल के सप्लायर में से एक द्वारा नोटिफाई किया गया था कि वो चीन से हासिल मिश्र धातु का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसे तब संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) में मैगनिटाइज़ किया गया था। बयान में आगे कहा गया कि “बहुत सावधानी की वज़ह डिलीवरी पर अस्थायी रोक लगा दी गयी है, ये देखते हुए कि चुंबक संवेदनशील प्रोग्राम की जानकारी के लिये चीन को किसी तरह की पहुँच तो नहीं मुहैया करवा रही है। मौजूदा हालातों में एफ -35 में कोई सुरक्षा समस्या नहीं है।
एफ-35 ज्वाइंट प्रोग्राम ऑफिस ने भी खुलासा किया कि ये हिस्सा पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के उड़ान संचालन को प्रभावित नहीं करता है, जो पहले से ही सेवा में हैं। चुंबक से F-35 की प्रौद्योगिकी से जुड़ी तकनीकी जानकारियों में किसी तरह की कोई सेंधमारी नहीं की जा सकती है। ऐसे में फाइटर जेट की परफॉर्मेंस, क्वालिटी, सेफ्टी और सिक्योरिटी रिस्क को कोई जोखिम नहीं है और एफ -35 इन-सर्विस बेड़े अपनी उड़ानों का संचालन जारी रखेगें। पेंटागन और लॉकहीड दोनों ने कहा कि मिश्र धातु के लिये वैकल्पिक स्रोत का इस्तेमाल भविष्य की टर्बोमशीन में किया जायेगा।