न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Kejriwal) और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 3 साल पुराने मामले में बड़ी राहत मिली है ये मामला तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ बदसलूकी और मारपिटाई से जुड़ा हुआ था। जिसमें अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को मुख्य प्रतिवादी बनाया गया था।
राऊज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले पर आज (11 अगस्त 2021) फैसला सुनाते हुए आम आदमी पार्टी के नेता प्रकाश जारवाल और अमानतुल्लाह खान (Prakash Jarwal and Amanatullah Khan) को छोड़कर बाकी सभी को बरी कर दिया। इस केस में केजरीवाल और सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के 11 विधायकों के नाम शामिल थे।
मुख्य सचिव से मारपीट के मामले में बरी होने के बाद अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने राहत की सांस ली। ये मामला साल 2018 में सामने आया। जब मुख्य सचिव अंशु प्रकाश (Chief Secretary Anshu Prakash) ने आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो समेत अन्य 12 लोगों पर मुख्यमंत्री आवास में उनके मारपीट करने का आरोप लगाया था।
कोर्ट के इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी नेता आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जाल वालों के खिलाफ कोर्ट ने आरोप तय करने के आदेश दिये। इस मामले को लेकर दिल्ली पुलिस ने काफी मजबूत चार्जशीट (Strong Charge Sheet) तैयार की थी। जिसे लेकर माना जा रहा था कि इसमें अरविंद केजरीवाल का फंसना लगभग तय है लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
गौरतलब है कि 19 फरवरी 2018 देर रात मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिविल लाइन स्थित अपने आवास पर एक बैठक बुलाई थी। जिसमें मुख्य सचिव अंशु प्रकाश भी शामिल थे, उसी मीटिंग में उनके साथ मारपीट और बदसलूकी हुई ऐसा उन्होनें दावा किया। जिसके बाद मुख्य सचिव ने सिविल लाइंस थाने (Civil Lines Police Station) में लिखित तहरीर दी। जिसकी बुनियाद पर 21 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने वीके जैन से पूछताछ की, इसके बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें 22 फरवरी 2018 को मजिस्ट्रेट के सामने बंद कमरे में धारा 164 के तहत बयान दर्ज करवाया ताकि मामले की सच्चाई सामने आये। मजिस्ट्रेट के सामने दिये गये बयान के आधार पर ही दिल्ली पुलिस ने वीके जैन इस मामले की मुख्य चश्मदीद गवाह (Eyewitness) बनाया था।