बिजनेस डेस्क (राजकुमार): अडानी टोटल गैस लिमिटेड (एटीजीएल) ने आज (8 अप्रैल 2023) से सीएनजी (CNG) की कीमत में 8.13 रुपये प्रति किलोग्राम और पीएनजी (PNG) की कीमत में 5.06 रुपये प्रति घन मीटर तक की कमी की है। अदानी टोटल गैस लिमिटेड (एटीजीएल) ने भारत सरकार के एडमिनिस्टर्ड प्राइज मैकेनिज़्म का स्वागत करते हुए कीमतों में गिरावट का ऐलान किया।
अडानी टोटल गैस लिमिटेड (एटीजीएल) की ओर से जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि सीएनजी वाहनों और आवासीय परिवारों को गैस की आपूर्ति के लिये मूल्य $4 की न्यूनतम सीमा और $6.5 प्रति एमएमबीटीयू के साथ भारतीय क्रूड बास्केट का 10 प्रतिशत है।
CNG और PNG की ताजातरीन कीमतें
दिल्ली- दिल्ली (Delhi) में सीएनजी की कीमत में 6 रुपये तक की कमी आयेगी (79.56 रुपये प्रति किलो से घटकर 73.59 रुपये)। इसके अलावा पाइप्ड नेचुरल गैस की कीमत में भी गिरावट दर्ज की गयी है, जो कि 53.59 रूपये से घटकर 47.59 रुपये प्रति घन मीटर हो गयी है।
मुंबई- मुंबई (Mumbai) में सीएनजी 8 रुपये प्रति किलोग्राम सस्ती होगी। पीएनजी की कीमत 54 रुपये से घटकर 49 रुपये प्रति एससीएम हो जायेगी, जबकि शहर में सीएनजी की कीमत 87 रुपये से घटकर 79 रुपये प्रति किलोग्राम हो जायेगी।
बेंगलुरु- सीएनजी 6 रुपये प्रति किलो सस्ती होगी जबकि पीएनजी 6.5 रुपये सस्ती होगी। ऐसे में सीएनजी की कीमत 83.5 रूपये प्रतिकिलो होगी और पीएनजी 52 रूपये एससीएम होगी।
एटीजीएल ने भारत सरकार की ओर से घोषित नए गैस मूल्य निर्धारण दिशानिर्देशों का फायदा घरेलू पीएनजी और सीएनजी उपभोक्ताओं की बड़ी तादादत तक पहुंचाने का फैसला किया है। पेट्रोल की कीमतों के मुकाबले सीएनजी उपभोक्ताओं के लिये 40% से ज्यादा की बचत के साथ सीएनजी और एलपीजी की कीमतों की तुलना में घरेलू पीएनजी उपभोक्ताओं के लिये लगभग 15% की बचत होगी।
आधी रात से लागू एटीजीएल को सीएनजी की कीमत में 8.13 रुपये प्रति किलोग्राम और पीएनजी की कीमत में 5.06 रुपये प्रति एससीएम तक की गिरावट का ऐलान किया गया, इससे आम लोगों को भारी राहत मिलने की उम्मीद है। एटीजीएल का मानना है कि भारत सरकार की ओर से गैस की कीमतों में सुधार का ये ऐतिहासिक फैसला घरेलू पीएनजी और सीएनजी वाहनों के फुटप्रिंट को तेजी से बढ़ाने के लिये विकास उत्प्रेरक (Growth Catalyst) के तौर पर में काम करेगा ताकि प्राकृतिक गैस के हिस्से में 6.5 फीसदी से इज़ाफे को सुनिश्चित किया जा सके। भारत सरकार के नजरिये के अनुरूप 2030 तक भारत की ऊर्जा खपत का 15 प्रतिशत का सीधा उछाल आना तय है।