नई दिल्ली (प्रियंवदा गोप): कांग्रेस (Congress) ने बीते मंगलवार (28 मार्च 2023) को लोकसभा सांसद के तौर पर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की जल्दबाजी में अयोग्य ठहराये जाने के खिलाफ अपना विरोध तेज कर दिया, पार्टी सांसद मनीष तिवारी (Manish Tiwari) ने कांग्रेस आला नेतृत्व सुझाव दिया है कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion) लाये जाने का नोटिस देना चाहिए।
नेतृत्व ने तिवारी से नोटिस का मसौदा तैयार करने को कहा और उन्होंने मंगलवार को इसे सौंप दिया गया। सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने अभी तक इसे आगे बढ़ाने का आह्वान नहीं किया। नेतृत्व निश्चित नहीं था कि अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे साथ आएंगे या नहीं। कुछ विपक्षी दलों के नेताओं ने इस तरह के कदम के पीछे अपनी रजामंदी ना होना का इशारा किया था। कांग्रेस नेतृत्व फिलहाल ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता है जो कि विपक्षी खेमे में विभाजन का संकेत दे।
लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के मुताबिक, सदस्य अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को हटाने के लिये अगर संकल्प की सूचना देना चाहते है तो महासचिव को लिखित रूप में ऐसा करना होगा। नोटिस की जानकारी मिलने पर प्रस्ताव को पेश करने की मंजूरी के लिए संबंधित सदस्य के नाम से कार्य सूची में अध्यक्ष की ओर से निर्धारित दिन पर दर्ज किया जायेगा, बशर्ते कि रिजॉल्यूशन की जानकारी हासिल होने की तारीख के चौदह दिनों के बाद ये कोई भी दिन हो सकता है।
चूंकि संसद का बजट सत्र एक हफ्ते में खतम होने वाला है, इस कदम को भले ही कांग्रेस की ओर से आगे बढ़ाया जा रहा है, लेकिन ये काफी हद तक प्रतीकात्मक है कि नोटिस की मिलने की तारीख से 14 दिनों के बाद ही ऐसे प्रस्ताव को सूचीबद्ध किया जा सकता है। कुछ नेताओं ने कहा कि राजनीतिक बिंदु बनाने के लिये इस विचार को माना जा सकता है।
बता दे कि साल 2020 में 12 विपक्षी दलों ने तत्कालीन राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को हटाने की मांग करते हुए अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। लेकिन तत्कालीन सभापति एम वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) ने इसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि प्रस्ताव को 14 दिनों की नोटिस अवधि देनी चाहिये और भेजा गया अविश्वास प्रस्ताव उचित प्रारूप में नहीं था।
अतीत में अध्यक्ष को हटाने की मांग करने वाले प्रस्तावों को तीन बार पेश किया गया है, साल 1951 में पहले लोकसभा अध्यक्ष जीवी मावलंकर (GV Mavalankar), 1966 में सरदार हुकम सिंह और 1987 में बलराम जाखड़ (Balram Jakhar) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सदन में रखे गये है।