नई दिल्ली (ब्यूरो) दिल्ली चुनावों में कांग्रेस और भाजपा की बड़ी हार दोनों के लिए बड़े सब़क लेकर आयी है। एक ओर भारतीय जनता पार्टी में इसे लेकर गहरे मंथन का दौर चल रहा है। हार के कारणों पर भाजपा आलाकमान चर्चा कर रही है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में इस मुद्दे को लेकर दो-फाड़ के हालात बन रहे है। हाल ही में कुछ दिन पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और अधिवक्ता कपिल सिब्बल इसकी शुरूआत कर चुके है। कपिल सिब्बल ने आम आदमी पार्टी के रणनीतिक कौशल की तारीफ की थी। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस नेतृत्व में बड़े बदलाव का बात कर चुके है। बदलाव के कुछ ऐसे ही सुर मिलिंद देवड़ा की ओर से भी सुने गये।
अरविंद केजरीवाल की तारीफ करते हुए मिलिंद देवड़ा ट्विटर पर लिखते है कि- अरविंद केजरीवाल के बारे में एक बहुत कम जानी हुई बात साझा कर रहा हूँ। दिल्ली सरकार का राजस्व करोड़ बढ़कर 60,000 हो गया है, ये रकम दुगुनी है। और पिछले पाँच सालों के दौरान ये सरप्लस बनाये हुए है। सोचने वाली बात ये है कि दिल्ली में अब देश की सबसे बेहतर और विवेकपूर्ण सरकार है।
जैसे ही ये ट्विट सामने आया तो मिलिंद देवड़ा खुद अपने पार्टी नेताओं के निशाने पर आ गये। अलका लाम्बा, मिलिंद देवड़ा को उन्हीं की भाषा में ज़वाब देती हुई लिखती है कि- इंडियन नेशनल कांग्रेस के बारे में एक बहुत कम जानी हुई बात साझा कर रही हूँ। कांग्रेस की अगुवाई वाली कर्नाटक सरकार ने 2013 के राजस्व 1,15,000 करोड़ रूपयों को 2018 में बढ़ाकर 2,21,000 करोड़ रूपये कर लिया। सोचने वाली बात ये है कि कर्नाटक के पास जीएसडीपी अनुपात की तुलना में बहुत कम ऋण है। यहाँ देश की सबसे विवेकपूर्ण सरकार है।
इसी मुद्दे पर अजय माकन भी काफी आक्रामक नज़र आये। मिलिंद देवड़ा को कुछ आंकड़े दिये और नसीहत देते हुए कहा कि- अगर आपको प्रोपगैंडा और आधी सच्चाई ही फैलानी है तो आप कांग्रेस का साथ छोड़ सकते है। यहाँ मैं कुछ ऐसे तथ्य साझा कर रहा हूँ, जो बहुत कम रोशनी में आये। साल 1997-98 के दौरान दिल्ली का राजस्व 4,073 करोड़ रूपये था और 2013-14 के दौरान राजस्व 37,459 करोड़ रूपये दर्ज किया गया। दिल्ली में कांग्रेस राज के दौरान सीएजीआर 14.87% दर्ज किया गया। साल 2015-16 के दौरान 41,129 करोड़ का राजस्व दिल्ली ने इकट्ठा किया, वहीं साल 2019-20 के दौरान ये रकम 60,000 रूपये दर्ज की गयी। आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान सीएजीआर की दर 9.90 फीसदी रही।