फिल्मों के कुछ किरदार ऐसे होते हैं, जो दर्शकों के ज़हन में गहरी छाप छोड़ते हैं। जरूरी नहीं कि ये लीड हीरो या हीरोइन ही हों। कभी-कभी सहायक कैरेक्टर्स भी लिजेंड्री बन जाते हैं। इन्हीं में एक थे सबको हंसाने वाले उत्पल दत्त। इनकी तस्वीर को देखकर शायद आज भी आपके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाये। 70 के दशक में उत्पल दत्त (Utpal Dutt) मशहूर कॉमेडियन के तौर पर जाने जाते थे। फिल्म ‘गोलमाल’ में अमोल पालेकर (Amol Palekar) के साथ उन्होंने लोगों को खूब हंसाया। अभिनेता होने के साथ-साथ उत्पल दत्त राजनीतिक कार्यकर्ता भी थे, जिसकी झलक उनकी फिल्मों में दिखाई देती है। उन्होंने हिंदी और बंगाली सिनेमा (Hindi and Bengali Cinema) में अमिट छाप छोड़ी। उनकी फिल्मों को देखकर दर्शक तो खुश होते थे, लेकिन सरकार नाराज हो जाती थी। अपनी पिक्चर के जरिये वो सरकार पर तंज कसते थे। इसी का नतीजा था कि आजाद भारत में उन्हें जेल जाना पड़ा था। उनसे जुड़ी कई खास बातें हैं, जिनके बारे में आज के दौर में शायद लोग कम ही जानते हैं
उत्पल दत्त का जन्म 29 मार्च 1929 को बांग्लादेश के बारीसाल (Barisal of Bangladesh) में हुआ था। उनके पिता का नाम गिरिजारंजन दत्त था और मां का नाम शैलाबला दत्त। उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई शिलांग (Shillong) से की। यहां से आगे की पढ़ाई के लिये उनके पिता ने उन्हें कोलकाता (Kolkata) भेज दिया। उत्पल दत्त ने अंग्रेजी साहित्य से ग्रेजुएशन किया। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उनका रूझान थियेटर की तरफ होने लगा था। उन्होंने साल 1960 में थिएटर और फिल्म अभिनेत्री शोभा सेन (Film Actress Shobha Sen) से शादी की। उत्पल दत्त और शोभा सेन की बेटी का नाम विष्णुप्रिया है, जो उनकी इकलौती संतान हैं।
साल 1940 में उत्पल दत्त अंग्रेजी थिएटर से जुड़े और अदाकारी की शुरूआत की। शेक्सपीयर साहित्य (Shakespeare Literature) से उनका खासा लगाव था। नाटक ‘ओथेलो (Othello)’ से उन्हें काफी वाहवाही मिली थी। इसके बाद उनका बंगाली नाटक में मन लगने लगा। बंगाली फिल्मों के साथ उनका थिएटर से प्रेम भी जारी रहा। इस दौरान उन्होंने कई नाटकों का निर्देशन और लेखन भी किया। बंगाली राजनीति पर लिखे उनके नाटकों ने कई बार विवाद को भी जन्म दिया।
बंगाली फिल्मों में सफलता पाने के बाद उन्होंने साल 1950 में हिंदी सिनेमा (Hindi Cinema) का रुख किया। उनके अभिनय को यहां भी काफी सराहा गया। बॉलीवुड में हास्य कलाकार के तौर पर उनकी खासा पहचान बनी। उन्होंने ‘गोलमाल’, ‘नरम गरम’, ‘रंग बिरंगी’, ‘शौकीन’ और ‘गुड्डी’ जैसी फिल्मों में काम किया। अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ में वो भी थे। गोलमाल फिल्म में उनका एक डायलॉग बहुत मशहूर था, जब वो कहते थे ‘बेटा रामप्रसाद…’। उनकी डायलॉग डिलीवरी का अंदाज काफी निराला था।
उत्पल दत्त कलाकार होने के साथ ही बड़े मार्क्सवादी क्रांतिकारी (Marxist Revolutionary) भी थे। उनके लिखे और निर्देशित कई बांग्ला नाटक विवादों में घिरे। साल 1963 का नाटक ‘कल्लोल’ भी विवादों में घिरा। इसमें नौसैनिकों की बगावत की कहानी को दिखाया गया था और तब की कांग्रेस सरकार (Congress Government) पर निशाना साधा गया था। इसके बाद 1965 में उत्पल दत्त को कई महीनों के लिये जेल जाना पड़ा था। साल 1967 में जब बंगाल विधानसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस की हार की वजह उत्पल दत्त की गिरफ्तारी भी मानी गयी। वहीं जब देश में आपातकाल लगा तो उत्पल ने तीन नाटक लिखे। इनमें ‘बैरीकेड’, ‘सिटी ऑफ नाइटमेयर्स’, ‘इंटर द किंग’ थे। उस वक्त सरकार ने तीनों नाटकों को बैन कर दिया था।
उत्पल दत्त को उनके हुनर का सम्मान भी मिला। फिल्म ‘भुवन शोम’ के लिये उन्हें साल 1970 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। वहीं फिल्म ‘गोलमाल’ के लिये उनको फिल्मफेयर बेस्ट कॉमेडियन के अवार्ड से नवाजा गया था। इसके अलावा भी उन्होंने कई अन्य अवॉर्ड अपने नाम किये थे। 19 अगस्त 1993 को उत्पल दत्त को दिल का दौरा पड़ा और वो इस दुनिया को अलविदा कह गये, और इस तरह अपने नायाब अंदाज में ‘अच्छा अच्छा’ बोलने वाला अभिनेता अपने पीछे यादों का कारवां छोड़ गया।