नई दिल्ली (ब्यूरो): मौजूदा हालात को देखते हुए कांग्रेस (Congress) बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है। आपसी कलह (Mutual discord) और खींचतान से कांग्रेस के अंदरूनी हालात (Internal conditions) बेहद चरमरा गए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का भाजपा (BJP) में जाना कांग्रेस के लिए बड़े सियासी नुकसान खड़े कर सकता है। कांग्रेस की राजनीतिक जमीन (Political ground) बेहद खोखली हो चुकी है और साथ ही अपने वजूद को बचाने के लिए उसे कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है। जल्द ही शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कमान संभालते दिख सकते हैं।
डैमेज कंट्रोल करने के साथ आगे की रणनीति (strategy) तय करने के लिए दस जनपथ (Ten janpath) में बैठकों का दौर जारी है। संभावना जताई जा रही है कि, जिस तरह से भाजपा ने मध्यप्रदेश में दांव खेला है। उसे देखते हुए अमित शाह के अगले निशाने पर सचिन पायलट (Sachin Pilot) हो सकते हैं। गौरतलब है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश (Rajasthan and Madhya Pradesh), अशोक गहलोत और कमलनाथ (Ashok Gehlot and Kamal Nath), ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट (Jyotiraditya Scindia and Sachin Pilot) ये समीकरण तकरीबन एक जैसे मिलते जुलते है।
राजनीति के जानकारों के मुताबिक कांग्रेस दो-धड़ों में बंटी हुई है। पहले धड़े की अगुवाई सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) करती हैं। जिसमें कांग्रेस के बुजुर्ग नेता है। इस धड़े के नेता कभी नहीं चाहते कि कोई युवा नेता (young Leader) उनके सियासी वजूद को चुनौती दे। सोनिया गांधी इस जमात को परंपरागत तरीके से काफी विश्वसनीय (Reliable) मानती है। दूसरी तरफ राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस का युवा नेतृत्व (Youth leadership) फल फूल रहा था। जिसमें प्रयोगधर्मी और ऊर्जावान नेताओं (Energetic leaders) की नई पौध तैयार की जा रही थी। सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया इसी खेमे तहत काम करते थे। कांग्रेस के भीतर काम कर रही इन दोनों जमातों की आपसी कलह से अमित शाह (Amit Shah) भली-भांति परिचित है। जिसका फायदा उठाते हुए भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को भगवा बिग्रेड (Saffron brigade) में शामिल कर लिया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया कई दिनों से प्रदेश की सियासत में अलगाव (Political isolation) महसूस कर रहे थे। जिसे वक्त रहते बीजेपी ने बखूबी समझा। क्योंकि कांग्रेस के पास कुछ ही गिने-चुने निर्विवादित चेहरे (Undisputed faces) हैं जिसे वह कभी खोना नहीं चाहेगी। ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश की राजनीति में काफी कद्दावर नेता थे जो कांग्रेस के पक्ष में माहौल तैयार करने के लिए जाने जाते थे। कांग्रेसी अर्न्तकलह की ये पहली तस्वीर है। अगला नंबर किसका हो सकता है। उसे रोकने के लिए फिलहाल बैठकों को दौर गर्म है।