न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): कांग्रेस (Congress) ने मणिपुर में हालातों से निपटने के तरीकों को लेकर आज (4 सितम्बर 2023) केंद्र पर हमला किया और आरोप लगाया कि जातीय हिंसा भड़कने के चार महीने बाद भी मोदी सरकार मणिपुर को भूल गयी। इसी मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Jai Ram Ramesh) ने कहा कि- “पिछले चार महीनों में दुनिया ने देखा है कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने सबसे खराब संकट के दौरान मणिपुर को कैसे तोड़ा।”
इसी मुद्दे पर एक्स पर एक पोस्ट करते हुए रमेश ने आरोप लगाया कि “जबकि प्रधान मंत्री और उनके ढोल बजाने वाले जी20 की खुमारी में डूबे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के चार महीने बाद मणिपुर (Manipur) को मोदी सरकार भूल गयी है।”
जयराम रमेश ने आगे कहा कि, “मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (Chief Minister N Biren Singh) ने ये सुनिश्चित किया है कि मणिपुरी समाज आज पहले से कहीं ज्यादा विभाजित है। केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) हिंसा को खत्म करने समेत हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी सुनिश्चित करने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं। इसके बजाय कई और सशस्त्र गुट इस जातीय संघर्ष में शामिल हो गये हैं। प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा करने, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करने या कोई विश्वसनीय शांति प्रक्रिया शुरू करने से इनकार कर दिया। क्या उन्होंने कैबिनेट में मणिपुर के अपने सहयोगी से भी मुलाकात की है? मानवीय त्रासदी के बीच मणिपुर में संवैधानिक मशीनरी और समुदायों के बीच विश्वास पूरी तरह से टूट गया है।”
बता दे कि जयराम रमेश का ये बयान ऐसे वक्त में सामने आया है, जब मणिपुर सरकार की ओर से 24 सदस्यों वाले 10 कुकी परिवारों में से कईयों को इम्फाल (Imphal) के न्यू लाम्बुलाने (New Lambulane) इलाके से निकाला गया, जहां वो कई दशकों से रह रहे थे और चार महीने पहले पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद भी वो कहीं और नहीं गये।
इसी मुद्दे पर एक अधिकारी ने कहा कि, इन परिवारों को शनिवार (2 सितम्बर 2023) तड़के इंफाल घाटी के उत्तरी किनारे पर कुकी-बहुल कांगपोकपी जिले (Kangpokpi District) में ले जाया गया, क्योंकि वो हथियारबंद गुटों के निशाने पर आ गये थे।
दूसरी ओर कुकी परिवारों ने आरोप लगाया कि उन्हें न्यू लाम्बुलेन क्षेत्र में मोटबुंग (Motabung) में उनके घरों से जबरन बेदखल कर दिया गया। मणिपुर में हिंसा का घटनाक्रम अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय (Meitei Community) की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किये जाने के बाद मई में शुरू हुआ। शुरुआत में मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं, जिसमें 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गयी और कई सौ लोग घायल हो गये।
गौरतलब है कि मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की तादाद लगभग 53 फीसदी है और वो ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। नागा और कुकी (Naga and Kuki) 40 प्रतिशत से कुछ ज्यादा हैं, जो कि पहाड़ी जिलों में रहते हैं।