न्यूज़ डेस्क (जयंती संघमित्रा): बढ़ते कोरोना (Corona) संकट के बीच दिल्ली सरकार कई मोर्चों पर डटी हुई है। राजधानी की चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था को संभालना अब केजरीवाल सरकार के लिए भारी होता जा रहा है। लंबी प्रशासनिक कवायदों के बाद भी प्राइवेट अस्पताल दिल्ली सरकार के आदेशों की खुली अवहेलना कर रहे हैं। जनता के रोष को देखते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने केजरीवाल के खिलाफ अलग-अलग मुद्दों पर मोर्चा खोल दिया है। जिसके चलते ट्विटर पर #SpeakUpDelhi काफी तेजी से वायरल हो रहा है।
दिल्ली प्रदेश के कांग्रेस उपाध्यक्ष अभिषेक दत्ता ने दिल्ली सरकार के टैक्स कलेक्शन और हाउस टैक्स को लेकर बड़े सवालिया निशान लगाएं। साथ ही छोटे और मझोले कारोबारियों को दिल्ली सरकार से मिलने वाली सहायता पर भी निशाना साधा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने दिल्ली सरकार के उस फैसले की आलोचना की, जिसमें अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कोरोना संक्रमण से ग्रसित दिल्ली वासियों का ही इलाज करने की बात कही थी। पवन खेड़ा ने केजरीवाल के इस रवैये को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। और दावा किया कि, दिल्ली सरकार के अस्पताल हमेशा से ही सभी का इलाज करते आए हैं।
इंडियन यूथ कांग्रेस ने अपने ऑफिशियल टि्वटर हैंडल से एक मरीज के तीमारदार का वीडियो साझा किया, मरीज की मौत मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में बीते 2 जून को ही हो चुकी, लेकिन उसका शव अभी तक उसके परिजनों को सौंपा नहीं गया है। इंडियन यूथ कांग्रेस ने ट्वीट में दावा किया कि, दिल्ली सरकार के अस्पतालों में मरीजों की मृत शरीर गायब हो रहे हैं। मृतकों के परिजनों को दूसरे मरीजों का शव सौंपा जा रहा है।
यूथ कांग्रेस की अगली पोस्ट में एक युवक ये दावा करते हुए पाया गया कि, अस्पताल में लापरवाही के चलते उसके पिता की मौत हो गई। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और अस्पताल वालों ने उन्हें ऑक्सीजन नहीं दी।
मामले पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी अनिल कुमार का वीडियो भी सामने आया। इस पोस्ट को एनएसयूआई के ऑफिशियल टि्वटर हैंडल से पोस्ट किया गया था। मौजूदा हालातों को देखते हुए, अनिल कुमार ने दिल्ली सरकार पर कई तीखे हमले किए। उनके मुताबिक केजरीवाल और उनके मंत्री हालातों को संभालने में नाकाम रहे हैं।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की ओर से शुरू की गई, ये मुहिम अगर परवान चढ़ती है तो दिल्ली सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ना लगभग तय है। सोशल मीडिया पर लगातार कई ऐसी पोस्टें सामने आ रही है, जो दिल्ली सरकार के दावों की पोल खोलती है। भले ही दिल्ली सरकार कितने आदेश पारित कर दे, लेकिन जमीनी हालातों कुछ और ही है।