न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) के न्यौते के बाद छत्तीसगढ़ के कौशल्या मंदिर (Kaushalya Temple of Chhattisgarh) में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) के हालिया दौरे ने राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस (Congress) और प्रमुख विपक्षी भाजपा के बीच ताजा विवाद पैदा कर दिया है। पिछले मंगलवार (13 सितम्बर 2022) को भागवत छत्तीसगढ़ में आरएसएस के पदाधिकारियों के साथ राजधानी रायपुर से लगभग 23 किलोमीटर दूर चंद्रखुरी (Chandrakhuri) में कौशल्या मंदिर के दर्शन के लिये गये थे, जिसे भगवान राम की मां को समर्पित एकमात्र मंदिर के तौर पर जाना जाता है।
ये राम वन गमन पर्यटन परिपथ (Ram Van Gaman Tourist Circuit) का हिस्सा माना जाता है। माना जाता है कि वनगमन के दौरान भगवान राम ने यहां समय बिताया था, इसलिये इसे छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) ने टूरिस्ट सर्किट में शामिल किया था। मंदिर का जीर्णोद्धार बघेल की अगुवाई वाली सरकार ने साल 2021 में किया था। बघेल ने 2021 में चंद्रखुरी में अपनी सरकार की पहली वर्षगांठ समारोह में यहां कार्यक्रम आयोजित किया था।
इस हफ्ते की शुरूआत में रायपुर में आरएसएस के एक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिये रायपुर पहुंचे, जिसके बाद बघेल ने खुले तौर पर भागवत को कौशल्या मंदिर आने के लिये न्यौता दिया। बाद में सीएम ने एक ट्वीट में कहा कि, ‘हमने मोहन भागवत जी को माता कौशल्या मंदिर के दर्शन के लिये न्यौता दिया था। मुझे यकीन है कि वहां पहुंचने पर उन्हें शांति का अहसास हुआ होगा। उन्होंने मंदिर का नया रूप मां कौशल्या के प्रेम और भगवान राम की शक्ति को महसूस किया होगा। उन्होंने भागवत को एक गोथन (गाय आश्रय) और स्कूल का दौरा करने के लिये भी न्यौता दिया, जहां हाल ही में संस्कृत को अनिवार्य विषय बनाया गया।
आरएसएस ने मीडिया के जरिये अपने प्रमुख को मुख्यमंत्री के न्यौते पर आपत्ति ज़ाहिर की, कांग्रेस सरकार (Congress Government) ने अपने नेता गिरीश दुबे (Leader Girish Dubey) को बीते सोमवार भागवत को औपचारिक न्यौता सौंपने के लिये भेजा। साथ ही कांग्रेस ने मंदिर जाने के लिये “न्यौते के इंतज़ार” के लिये आरएसएस प्रमुख की आलोचना करते हुए कहा कि “हमारे सीएम ने उन्हें (भागवत) आमंत्रित किया था। लेकिन मीडिया के जरिये उन्होंने इस न्यौते को नामालूम बताया। हम उन्हें औपचारिक रूप से आमंत्रित करने के लिये यहां हैं।”
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला (Congress Spokesperson Sushil Anand Shukla) ने कहा कि, “भाजपा धर्म को लेकर नफरत की राजनीति करती है। लेकिन छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने उन्हें लोगों से जुड़ने की राजनीति दिखायी है।”
भाजपा ने “धर्म का राजनीतिकरण” करने के लिये कांग्रेस पर पलटवार किया, भाजपा नेता धर्मलाल कौशिक (BJP Leader Dharamlal Kaushik) ने कहा कि “वो (कांग्रेस) किसी के व्यक्तिगत मंदिर जाने पर इस तरह का हंगामा करते हैं। भले ही उन्हें न्यौता दिया गया था, क्या उनका स्वागत करने के लिये कोई वहां था? कांग्रेस सरकार धर्म को राजनीतिक मुद्दा बना रही है।”
बता दे कि भागवत ने उसी दिन रायपुर में भाजपा सरकार द्वारा निर्मित राम मंदिर का भी दौरा किया। राज्य कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भाजपा के साथ इस तरह की कवायदों के केंद्र में मंदिरों, देवगुड़ी (आदिवासी मंदिरों) और पूजा स्थलों पर जोरदार ध्यान है, जिसे भगवा पार्टी अपनी रैली के दौरान नैरेटिव के तौर पर इस्तेमाल करती है। उन्होंने कहा कि, ‘विचार ये है कि भाजपा को धर्म, गाय और पहचान पर नफरत की राजनीति फैलाने नहीं दिया जायेगा। हम एक बेहतर उदाहरण और मॉडल बनाकर रहे हैं”
इससे पहले भाजपा नेता अजय चंद्राकर (BJP leader Ajay Chandrakar) ने कौशल्या मंदिर की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया था। “क्या मुख्यमंत्री हमें बता सकते हैं कि उन्हें कैसे पता चला कि कौशल्या का जन्म कहाँ हुआ था? शास्त्रों में कहाँ लिखा है कि कौशल्या का जन्म यहीं हुआ था?”
गौरतलब है कि बघेल सरकार धार्मिक और पहचान के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बड़े हिस्से के तौर पर आदिवासियों तक पहुंचने की भी कोशिश कर रही है।
इस हफ़्ते की शुरुआत में आदिवासी मंत्री कवासी लखमा (Tribal Minister Kawasi Lakhma) ने कहा कि, “उन्हें (बघेल) सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त है। वो छत्तीसगढ़िया और आदिवासियों की भलाई के लिये काम कर रहे हैं। मुझे यकीन है कि बघेल के पूर्वज आदिवासी थे, जैसा कि वो लोगों के लिये महसूस करते हैं।”