न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सियासत में रोजाना दिलचस्प किस्से देखने को मिल रहे हैं। अभी प्रियंका गांधी और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच बस को लेकर खींचतान चल ही रही थी कि, अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के एक ट्वीट में सियासी घमासान मचा दिया। सपा अध्यक्ष ने प्रदेश प्रशासन सहित भाजपा पर बड़े सवालिया निशान लगाये। कोरोना महामारी (Corona epidemic) के चलते उत्तर प्रदेश पुलिस ने कई संक्रमित लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की। जिसे लेकर सपा अध्यक्ष ने योगी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। सूबे की युवा आबादी का बड़ा हिस्सा रोजगार के लिए मुंबई, दिल्ली, लुधियाना,तेलंगाना और अहमदाबाद पर निर्भर करता है। इंफेक्शन के चलते रोजगार छीनने के डर से प्रवासी मजदूरों (migrant workers) की बड़ी आबादी ने प्रदेश में अपने घरों की ओर रुख़ किया। जाने अनजाने में कई युवा संक्रमित होकर वापस अपने घर पहुंचते है तो, मामले का खुलासा होने पर उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली जाती है। एसिम्फोटिक संक्रमण (Asymptotic infection) होने के कारण कई लोगों को बीमार होने का पता ही नहीं चलता। प्रशासन द्वारा जांच होने के बाद वायरस इन्फेक्शन के बारे में पता चलता है। ऐसे में इन लोगों के खिलाफ जन स्वास्थ्य को खतरे में डालने के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर ली जाती हैं। जिसकी वजह से संक्रमित व्यक्ति को न्यायिक प्रक्रिया (judicial procedure) का सामना करना पड़ता है।
मामले पर सपा अध्यक्ष अखिलेख ने यादव ने ट्विट कर लिखा कि- उप्र में कोरोना से जुड़ी हज़ारों प्राथमिकी दर्ज हो रही हैं जिससे ऐसा लगने लगा है कि ये कोई चिकित्सीय नहीं बल्कि कोई ‘आपराधिक समस्या’ है. क्वारेंटाइन सेंटर्स (Quarantine centers) की बदहाली व उनके प्रति भाजपा सरकार की भेदभावपूर्ण नीति की वजह से लोग यहाँ जाने से डर रहे हैं. भाजपाई अपना संकीर्ण चश्मा बदलें!
ऐसे में व्यक्ति को संक्रमण के खतरे के साथ, लंबी थकाऊ न्यायिक प्रक्रिया से दो-चार होना पड़ता है। ये एक तरह से व्यक्ति का मनोबल तोड़ देती है। जहां उसे ठीक होने पर रोजी-रोटी कमानी चाहिए थी, वहां पर वो न्यायालय (Court) में चप्पलें घिस कर अपनी बची हुई पूंजी लुटा देगा। इस तरह बीमारी को आपराधिक रंग देने से युवाओं का मनोबल टूट सकता है।
सपा अध्यक्ष (SP President) ने जिस तरह से मामले को उठाया है, उस पर सियासी घमासान मचना तय है। या फिर मामले का दूसरा रुख ये हो सकता है कि योगी सरकार (Yogi Govt.) ऐसे मामलों को खारिज करने की घोषणा कर दे।